धरती का स्वर्ग : नंदीकुण्ड – पांडव सेरा जहां पांडवों द्वारा रोपित धान की फसल आज भी लहलहाती है – लक्ष्मण नेगी की खास रिपोर्ट

Team PahadRaftar

ऊखीमठ : मदमहेश्वर – पाण्डव सेरा – नन्दीकुण्ड 25 किमी पैदल मार्ग के भू-भाग को प्रकृति ने अपने दिलकश नजारों से सजाया व संवारा है। इस भू-भाग से प्रकृति को अति निकट से देखा जा सकता है। प्रकृति प्रेमी व परम पिता परमेश्वर का सच्चा साधक जब प्रकृति की सुरम्य गोद में पहुंचता है तो जीवन के दुख – दर्दों को भूलकर प्रकृति का हिस्सा बन जाता है। पाण्डव सेरा में आज भी पाण्डवों के अस्त्र शस्त्र पूजे जाते हैं जबकि द्वापर युग में पाण्डवों द्वारा रोपित धान की फसल आज भी अपने आप उगती है तथा धान की फसल उगने के बाद धरती के पावन आंचल में समा जाती है। पाण्डव सेरा में पाण्डवों द्वारा निर्मित सिचाई गूल आज भी पाण्डवों के हिमालय आगमन की साक्ष्य है तथा सिंचाई गूल देखकर ऐसा आभास होता है कि गूल का निर्माण सिंचाई के मानकों के अनुरूप किया गया हो। नन्दीकुण्ड के भूभाग को प्रकृति ने नव नवेली दुल्हन की तरह सजाया है। नन्दीकुण्ड में चौखम्बा का प्रतिबिम्ब साक्षात स्वर्ग का एहसास कराता है जबकि इस भूभाग से असंख्य पर्वत श्रृंखलाओं को एक साथ निहारने से मन में अपार शान्ति की अनुभूति होती है। बरसात के समय पाण्डव सेरा से नन्दीकुण्ड के आंचल में असंख्य बह्रमकमल खिलने से यह भू-भाग शिवलोक के समान समझा जाता है! लोक मान्यताओं के अनुसार केदारनाथ धाम में जब पांचों पाण्डवों को भगवान शंकर के पृष्ठ भाग के दर्शन हुए तो पांचों पाण्डव ने द्रोपती सहित मदमहेश्वर धाम होते हुए मोक्षधाम भूवैकुष्ठ बद्रीनाथ के लिए गमन किया। मदमहेश्वर धाम में पांचों पाण्डवों द्वारा अपने पूर्वजों के तर्पण करने के साक्ष्य आज भी एक शिला पर मौजूद है। मदमहेश्वर धाम से बद्रीका आश्रम गमन करने पर पांचों पाण्डवों ने कुछ समय पाण्डव सेरा में प्रवास किया तो यह स्थान पाण्डव सेरा के नाम से विख्यात हुआ। पाण्डव सेरा में आज भी पाण्डवों के अस्त्र – शस्त्र पूजे जाते है, तथा पाण्डवों द्वारा सिचित धान की फसल आज भी अपने आप उगती है तथा पकने के बाद धरती के आंचल में समा जाती है। पाण्डव सेरा में पाण्डवों द्वारा निर्मित सिंचाई नहर आज भी विद्यमान है तथा सिंचाई नहर में जल प्रवाह निरन्तर होता रहता है। पाण्डव सेरा से लगभग 5 किमी की दूरी पर स्थित नन्दीकुण्ड में स्नान करने से मानव का अन्त: करण शुद्ध हो जाता है। यह भू-भाग बरसात के समय ब्रह्मकमल सहित अनेक प्रजाति के फूलों से आच्छादित रहता है। प्रकृति प्रेमी अभिषेक पंवार ने बताया कि मदमहेश्वर धाम से लगभग 20 किमी की दूरी पर पाण्डव सेरा तथा 25 किमी की दूरी पर नन्दीकुण्ड विराजमान है। उन्होंने बताया कि मदमहेश्वर धाम से धौला क्षेत्रपाल, नन्द बराडी खर्क, काच्छिनी खाल, पनोर खर्क, द्वारीगाड, पण्डो खोली तथा सेरागाड पड़ावों से होते हुए पाण्डव सेरा पहुंचा जा सकता है। भूपेन्द्र पंवार ने बताया कि मदमहेश्वर से पाण्डव सेरा – नन्दीकुण्ड तक फैले भूभाग को प्रकृति ने अपने दिलकश नजारों से सजाया है इसलिए इस भूभाग में पर्दापण करने से भटके मन को अपार शान्ति मिलती है। अजय पंवार ने बताया कि नन्दीकुण्ड में भगवती नन्दा के मन्दिर में पूजा – अर्चना करने से मनुष्य के सभी मनोरथ पूर्ण होते हुए ! लोकेशन पंवार ने बताया कि मदमहेश्वर – पाण्डव सेरा – नन्दीकुण्ड पैदल ट्रैक पर सभी संसाधन साथ ले जाने पड़ते है तथा पहली बार ट्रेकिंग करने वाले को गाइड के साथ ही ट्रेकिंग करनी चाहिए। अंकुश पंवार ने बताया कि मदमहेश्वर – पाण्डव सेरा – नन्दीकुण्ड के आंचल में बसे भूभाग को बार – बार निहारने का मन करता है।

Next Post

स्वर्गीय महेंद्र सिंह बिष्ट फुटबॉल मैच का मुकेश नेगी ने किया उद्घाटन - केएस असवाल गौचर

गौचर : स्वर्गीय महेंद्र सिंह बिष्ट की पुण्यतिथि में गौचर के विशाल मैदान में 7 जुलाई से फुटबॉल मैच का हुआ शुभारंभ बृहस्पतिवार को फुटबॉल मैच का उद्घाटन पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष मुकेश नेगी के द्वारा किया गया। जिसमें नगर पालिका सभासद अनिल नेगी एवं अध्यक्ष और भंडारी विशेष अतिथि रहे। […]

You May Like