फूलों की घाटी में दुर्लभ प्रजाति के स्तनपायी हिमालयन पिका की धमा चौकड़ी

Team PahadRaftar

फूलों की घाटी प्रचुर जैव विविधता से भरी वैली में दुर्लभ प्रजाति के स्तनपायी “हिमालयन पिका” की धमा चौकड़ी

संजय कुंवर, फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क

जोशीमठ : विश्व धरोहर फूलों की घाटी राष्ट्रीय पार्क में आजकल रंग बिरंगे अल्पाइन पुष्पों की रंगत के साथ साथ प्रकृति प्रेमियों को दुर्लभ और संकट ग्रस्त प्रजातियों की श्रेणी में शामिल स्तनपायी जीव हिमालयन पिका आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

दरअसल “हिमालयन पिका” हिमालयी क्षेत्रों में विशेष प्रकार का बिना पूंछ का चूहा पाया जाता है, जिसे हिमालयन पिका कहा जाता है। इस जानवर का जैव मंडल के इको सिस्टम से बहुत गहरा नाता है। लेकिन अब प्लास्टिक कचरे के कारण इसके जीवन पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।हालांकि वैली ऑफ फ्लावर्स में प्रचुर जैव विविधता के कारण यह स्तनपायी जीव खूब धमा चौकड़ी मचाते हुए दिखाई दे रहा है।

दरअसल पिका परिवार में सबसे छोटे स्तनपायी प्रजातियों की एक प्रजाति है। यह उत्तराखंड जांस्कर और नेपाल और तिब्बत के दूरदराज के इलाकों में ऊंचाई पर पाया जाता है। IUCN ने इस प्रजाति के संरक्षण हेतु “कम से कम चिंता” के रूप में सूचीबद्ध किया है।अल्पाइन बुग्यालों में जैव विविधता और ईको सिस्टम को बनाये रखने में इस छोटे हिमालयन पिका की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वहां के इको सिस्टम का यह अभिन्न अंग है। लेकिन, पर्यटकों की लापरवाही और प्लास्टिक कूड़ा करकट के चलते अब हिमालयन पिका के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।

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