देवाल : मोनाल टॉप की सुंदरता देख अभिभूत हुए पर्यटक

Team PahadRaftar

मोनाल टॉप की सुंदरता देख अभिभूत हुए पर्यटक,
पर्यटन विभाग और जिलाधिकारी के सहयोग से जनपद चमोली के विभिन्न क्षेत्रों से 30 युवाओं का ग्रुप मोनाल टॉप का भ्रमण कर लौटा वाण गांव, पर्यटकों की पहली पसंद बन रहा मोनाल ट्रैक। विंटर टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में हो रहा है विकसित,मोनाल टॉप से हिमालय के अभिभूत कर देनें वाले सौंदर्य के होते हैं दीदार

देवाल/वाण

पर्यटन विभाग और जिलाधिकारी के सहयोग से जनपद चमोली के विभिन्न क्षेत्रों से 30 युवाओं का ग्रुप मोनाल टॉप का भ्रमण कर आज वाण गांव लौटा। न्यू टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में प्रसिद्ध हो रहे मोनाल टॉप की सुंदरता को देख 30 युवाओं का ग्रुप अभिभूत हो गया। युवाओं ने कहा इससे सुंदर जगह हमने आज तक नहीं देखी। युवाओं ने पोस्टरों के जरिए लोगों को बुग्याल बचाने, स्वच्छता के संदेश भी दिए।

मोनाल टॉप ट्रैक पर प्रेम सिह सुतोल गाँव, पूजा बैरासकुण्ड, राजेन्द्र सिह बथियाल पिथौरागढ, रूची, ऊषा बिष्ट,ऊषा रावत, आशा निजमुला, पोखरी से हीमाशू नेगी अकित असवाल गोपेश्वर से और पर्यटन विभाग से जनार्जन थपलियाल शामिल थे। हर कोई मोनाल टॉप ट्रैक की भूरी भूरी प्रशंसा करते नहीं तक रहा है। पर्यटन विभाग के सहयोग से सभी युवाओं को होमस्टे में रहने का अवसर मिल रहा है और प्रकृति को करीब से देखने का अवसर।

युवाओं को मोनाल टॉप ट्रैक करा रहे बिष्ट होम स्टे और गढभूमि एडवेंचर के सीईओ हीरा सिंह गढ़वाली कहते हैं कि मोनाल ट्रैक प्रकृति का अनमोल खजाना है। लेकिन तमाम खूबियों के बाद भी मोनाल ट्रैक आज भी देश दुनिया के पर्यटकों की नजरों से ओझल है। इस पूरे ट्रैक में आपको हिमालय दर्शन के जरिए हिमालय को करीब से देखने का मौका मिलेगा। यहाँ का अभिभूत कर देने वाला अप्रतिम सौंदर्य हर किसी को आनंदित करता है। यहाँ से सनराइज और सर्दियों में विंटर लाइन बेहद रोमांचित करता है। चमोली में इससे ज्यादा खूबसूरत ट्रैकिंग रूट और कोई नहीं है।

गौरतलब है कि सीमांत जनपद चमोली के देवाल ब्लाॅक के वाण गांव से 12 किमी की दूरी पर स्थित है खूबसूरत ट्रैक मोनाल टॉप ट्रैक। 5 साल पहले दो ट्रैकर देवेन्द्र बिष्ट और हीरा सिंह गढ़वाली नें इस गुमनाम मोनाल ट्रैक को खोज निकाला था। इस पूरे ट्रैक में आपको हिमालय दर्शन के जरिए हिमालय को करीब से देखने का मौका मिलता है। नये साल में 10 से ज्यादा ग्रुप यहां पहुंच चुके हैं। यहाँ पहुंचकर पर्यटक हिमालय के बेपनाह सौंदर्य को देखकर अभिभूत हो गये हैं। बैंगलोर, गुजरात, मध्य प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों से यहाँ पहुंचे पर्यटकों का मानना है कि उन्होंने इससे खूबसूरत ट्रैकिंग रूट पहले कभी नहीं देखा। वो हर बार यहाँ आना चाहेंगे।

ये है मोनाल टॉप

हिमालय में मौजूद प्रकृति की अनमोल नेमत है मोनाल ट्रैक : हिमालय के कोने-कोने की खाक छानने वाले पर्यटकों के लिए मोनाल ट्रैक किसी रहस्य और रोमांच से कम नहीं हैं। यहां आकर ऐसा लगता है कि धरती पर अगर कहीं जन्नत है तो वो यहीं हैं। चारों ओर जहां भी नजर दौडाओ हिमालय की केदारनाथ, चौखंभा, नंदा देवी, हाथी घोडा पर्वत, त्रिशूल सहित गगनचुम्बी हिमाच्छादित चोटियों और मखमली घास के बुग्याल के दीदार होते हैं। लगभग साढे बारह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित मोनाल ट्रैक मन को आनंदित कर देता है। इस ऊँचाई पर पहुंचने के बाद एक तरफ नजर दौडाओ तो पूरा घाट ब्लाॅक का भूगोल और तातडा में द्यो सिंह देवता और रामणी के बालपाटा, नरेला बुग्याल नजर आता है तो दूसरी तरफ नजर दौडाओ तो कैल और पिंडर घाटी का भूगोल दिखाई देता है। सामने नजरों में एशिया के सबसे बडे मखमली घास के बुग्याल वेदनी और आली दिखाई देता है, उसके पास रहस्यमयी रूपकुण्ड और ब्रहकमल की फुलवारी भगुवासा नजर आती है। जबकि बर्फीली हवाएं जिस ओर से आती है तो बिल्कुल सामने नंदा घुंघुटी और त्रिशूल की हिमाच्छादित शिखर आपसे गुफ्तगु करनें को मानो तैयार खडा है। कुछ देर प्रकृति के नजारों का लुत्फ उठाते उठाते आपको कई जगहों पर राज्य पक्षी मोनालों का झुंड आपको विचरण करता हुआ दिखाई देगा। देवाल ब्लाॅक के वाण गांव निवासी और रूपकुण्ड टूरिज्म के सीईओ देवेन्द्र सिंह कहते हैं कि यहाँ मोनालों की प्रचुरता की वजह से ही स्थानीय लोग इसे मुन्याव ट्रैक यानि की मोनाल ट्रैक कहते हैं। वे कहते हैं कि इस ट्रैक पर आपको हिमालय के सदूरवर्ती गांव, बुग्यालों, ताल, पेड़ों, जंगली जानवरों, पक्षियों और पहाड़ की संस्कृति के दीदार होतें हैं। यहां से हिमालय की कई पर्वत श्रेणी और मखमली बुग्यालों को देखा जा सकता है। यहां राज्य बृक्ष बुरांस, राज्य पक्षी मोनाल, राज्य पशु कस्तूरी मृग भी देखने को मिलतें हैं। इसके अलावा हजारों प्रकार के फूल और वनस्पति भी रोमांचित कर देती है। इस ट्रैक को वन्य जीव टूरिज्म के रूप में भी विकसित किया जा सकता है।

 

ऐसे पहुंचा जा सकता है मोनाल ट्रैक

मोनाल ट्रैक

ऋषिकेश से वाण गांव 275 किमी वाहन द्वारा या
काठगोदाम से वाण तक 250 किमी वाहन द्वारा
वाण से कुकीना- खाल 4 किमी पैदल
कुखीना खाल से हुनेल -5 किमी
हुनेल से मोनाल टाॅप- 3 किमी पैदल

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