जोशीमठ : उर्गमघाटी में नंदा लोकजात यात्रा शुरू, मां भगवती को बुलाने के लिए छंतोली कैलास को रवाना

Team PahadRaftar

रघुबीर नेगी

जोशीमठ : धियांण बहन गौरा को दिए वचन जल्द मायके बुलायेंगे को निभाने आज भगवंती गौरा को बुलाने जायेंगे भगवती गौरा के मैती भल्ला वंशज भूमि क्षेत्र पाल घंटाकर्ण के सानिध्य में आज से उर्गमघाटी में लोकजात यात्रा का शुभारम्भ हो गया जो 5 सितंबर से 11 सितम्बर तक चलेगी।

13 सितंबर को उर्गम घाटी के भर्की दशमी मेला से भगवती नन्दा स्वनूल देवी की कैलाश विदाई होगी एक वर्ष बाद धियाण बहन बेटी का मायके में इन्तजार हो रहा है।

आज 5 सितंबर शाम 4 बजे श्री गौरा मंदिर से फ्यूलानारायण मंदिर के लिए जागरों ढोल दमाऊ के साथ जात कंडी छतोली फ्यूलानारायण मंदिर के लिए रवाना हुई जो शाम सात बजे तक श्री नारायण की तपस्थली फ्यूलानारायण पहुंचेगी।

 

कौन है भल्ला वंशज

देवग्राम में स्थित 40 नेगी परिवार भगवती गौरा देवी के जमाणी मैती है जहां भगवती गौरा बेटी के रुप में विराजमान हैं पंचम केदार कल्पेश्वर महादेव मंदिर भैरव बाबा के पुजारी एवं हक हकूकधारी है जो भगवती गौरा की पूजा अर्चना एवं परम्पराओं का निर्वहन करते हैं।

क्यों होती है भगवती गौरा की जात

उर्गमघाटी की आराध्य हिमालय पुत्री भगवती गौरी शिव के साथ भावुक पलकों के साथ मायके से वियवान कैलाश के लिए विदा हो जाती है शिव के साथ । पौराणिक परम्परा के अनुसार हजारों वर्षों से चली आ रही रीति रिवाज परम्पराये आज भी उर्गम घाटी की ग्राम पंचायत देवग्राम में मनाई जाती है। देवग्राम का गौरा मंदिर जहां भगवती बेटी के रूप में विराजमान है हर वर्ष चैत्र बैशाख की षष्ठी तिथि को भगवती की डोली जिसे जम्माण कहा जाता है गर्भगृह से बाहर निकाली जाती है और प्रतिदिन भगवती के फेरे क्रमश एक से आठ तक देवग्राम के गौरा मंदिर में होते है नवे दिन देवग्राम के आदिकेदार में श्री भूमियाल देवता घंटाकर्ण के सानिध्य में वैदिक रीति रिवाजों मांगलिक गीतों जागरों के साथ महेश्वर भोलेनाथ से भगवती का विवाह होता है। देवग्राम के नेगी परिवार जिन्हे स्थानीय भाषा में भल्ला कहा जाता देवी के मायके की भूमिका निभाते हैं जो देवी की जम्माण नौ दिनों तक फेरे करवाते है इस अवसर पर उर्गम घाटी की धियाणियां भगवती की विदाई के लिए मायके पहुचते है जो दूर दराज के क्षेत्रों से पहुंचती है और देवी को भैटूली स्थानीय उत्पाद च्युड़ा भुजली आदि देवी को दी जाती है। विदा होते समय लोगों की आंख से जलधारा निकल जाती है श्री भूमियाल देवता के गौरा धियाण को विदा करना मुश्किल हो जाता है समझा बुझा कर इस आशा के साथ कि तुझे जल्दी मायके बुलाया जायेगा।

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जब आली लाठी भादों मास की दूज की तीथ त्वै कू बुलोला लाडी मैंत

हे पुत्री जब भादों महीने की दूज की तिथि आयेगी हम तुझे बुलाने तेरे कैलाश आयेंगे।

हिमालय पुत्री गौरा का उत्तराखंड से अटूट सम्बन्ध है भगवती कहीं बेटी बहु धियाण मां के रूप में कण कण में विद्यमान है जिसे रिश्ते के रुप में सर्वाधिक प्रेम मिलता है। इस अवसर पर भल्ला वंशजों के प्रतिनिधि जातयात्री द्विवेक नेगी अध्यक्ष लक्ष्मण सिंह नेगी मां भगवती दक्षिण काली पश्वा मोहन सिंह नेगी प्रेम प्रकाश मनोज रावत कल्पनाथ मंदिर प्रबंधकारिणी समिति देवग्राम अध्यक्ष विनोद नेगी रघुबीर नेगी सचिव विक्रम देवेन्द्र रावत प्रधान देवग्राम रीता नेगी भगवती देवी प्रमिला कमला संतोषी शरादी देवी समेत सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।

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