आ गये हैं बच्चे लौटकर
आ गये हैं बच्चे लौटकर
स्कूल के बुलाने पर
खुश हैं आज स्कूल बहुत
बचपन के आने पर।
गूंज उठा है हॉल भी
सुरों में साज सजा है आज
विवेकानन्द के विचारों से
शुभारम्भ हुआ है आज।
सूरज की किरणों सी पसरी
मुस्कान सब होंठों पर देखो
वो नन्हीं श्रेया आई गेट पर
नहीं आंसू आंखों में देखो।
लिपटी ख्यालों में मैं अब
पल – पल सोच रही हूं ये
वक्त था जो बीत गया
अब सपने खोज रही हूं मैं।
वही शोर फिर क्लासरूम में
बेंच वही फिर टकराते
अब फिर बातें होमवर्क की
और पनिशमेंट की हैं बातें।
मुंह पर मास्क अभी भी है
पर दीवारों में हलचल है
मे आई कम इन,मे आई कम इन
आना जाना पल – पल है।
ब्लैकबोर्ड आज खूब चमकता
अक्षर – अक्षर भरता है
मैं मॉनीटर मैं मॉनीटर
हंस – हंस बच्चा कहता है।
सीढ़ीयों में टकराने की
होड़ है आने जाने की
टीचर जल्दी में बच्चे जल्दी में
कहीं जल्दी घंटी बजाने की।
कोरोना अब विदा है तुझको
वापस लौटकर आना न
हर चेहरा मुस्कान भरा है
मासूमों को फिर सताना न।
सर्वाधिकार सुरक्षित
शशि देवली गोपेश्वर चमोली उत्तराखण्ड