हिमालय दिवस पर लिया बुग्याल बचाने का लिया संकल्प, कुंवारी पास की सफाई और अध्य्यन के लिए संयुक्त दल रवाना।
चण्डी प्रसाद भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र गोपेश्वर ,नंदा देवी वन प्रभाग तथा आईटीबीपी एवं रा.स्ना.महा.वि.गोपेश्वर के संयुक्त दल को कुँवारी पास बुग्याल के अध्य्यन एवं सफाई हेतु आईटीबीपी के उप सेनानी सुनील चंद्र पोखरियाल ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इससे पूर्व आइटीबीपी के सभागार में प्रमुख मुख्य वन संरक्षक वन्य जीव समीर सिन्हा ने भी आन लाइन संबोधित करते हुए बुग्यालों के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इससे पूर्व शनिवार सांय को हिमालय दिवस के अवसर पर सीपी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र गोपेश्वर तथा नगर पालिका परिषद जोशीमठ और नंदा देवी वन प्रभाग के संयुक्त तत्वाधान में पालिका सभागार में नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार की अध्यक्षता में हिमालय के बुग्यालों पर मंडराता खतरा विषय पर एक चिंतन गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी में हिमालयी बुग्यालों को प्लास्टिक कचरे से मुक्त कराने का संकल्प लिया गया।
चिंतन गोष्ठी में श्री बदरीनाथ धाम के पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने हिमालय की वेदों और पुराणों में बतायी गई महिमा के उल्लेख से अपनी बात रखते हुए कहा कि जिसे स्वयं भगवान शंकर ने अपना आलय बताया है और जहां भगवान नर- नारायण ने तपस्या की है। वेदव्यास ने वेदों की रचना की है। वह क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से कितना महत्वपूर्ण होगा समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हिमालय ही हमारे सनातन धर्म संस्कृति का आधार और जीवन मूल स्रोत हैं।
गोष्ठी में अपने विचार रखते हुए पूर्व पालिका अध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती ने कहा कि बुग्याल हिमालय की आत्मा है। हमारे पूर्वजों ने शायद बहुत पहले ही बुग्यालों पर आने वाले खतरों को भांप लिया था तभी उनके द्वारा बुग्यालों के संरक्षण के लिए कई नियम तथा कायदों का जैसे बुग्यालों में समय से पूर्व नहीं जाना, रहने के तौर- तरीकों और कई स्थानों पर बोलना,थूकना आदि क्रियाकलापों को निषेध कर कई ऐसे ही अन्य नियमों का सृजन कर बुग्यालों के संरक्षण के लिए लोकाचार की परंपरा स्थापित की थी। उनके द्वारा बनाये इन लोकाचारों के द्वारा ही आज हमें ये बुग्याल सुरक्षित मिले हैं। हाल के वर्षों में हमारे द्वारा सदियों से चली आ रही अपनी इन परंपराओं को भुला दिये जाने के कारण बुग्यालों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।
पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार ने गोष्ठी में अपने विचार रखते हुए कहा कि यदि हमने अभी अपने बुग्यालों को बचाने का संकल्प नहीं लिया तो बहुत देर हो जायेगी और शायद बाद में लाख कोशिश करने के बाद भी हम इन्हें बर्बाद और नष्ट होने से नहीं बचा पायेंगे और भविष्य में हमारी आने वाली पीढी हमें इसके लिए माफ भी नही करेगी।
इसी के साथ उन्होंने कहा कि हिमालय में विकास संबंधी योजनाओं को बनाने से पूर्व हिमालय की भौगोलिक स्थिति तथा योजना द्वारा यहां के पर्यावरण और पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ने वाले प्रभावों को भी ध्यान में रखा जाना जरूरी है। तभी हम हिमालय और उसके बुग्यालों तथा हिमनदों को बचाकर रख सकते हैं।
गोष्ठी में सी पी भट्ट पर्यावरण एवं विकास केंद्र के प्रबंध न्यासी ओम प्रकाश भट्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि, उनके न्यास द्वारा वर्ष 2014 से बुग्यालों के संरक्षण के लिए बुग्यालों बचाओ अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत न्यास के स्वयं सेवियों द्वारा बुग्यालों में हो रहे परिवर्तनों के अध्ययन करने के साथ ही वहां पड़े कचरे को एकत्रित कर निस्तारण स्थल तक पहुंचाया जाता है।
इसी क्रम में उनके द्वारा यह भी बताया गया कि,बुग्यालों के संरक्षण के विषय में माननीय उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर निर्णय देते हुए कहा कि बुग्यालों पर सर्वप्रथम अधिकार वहां की वनस्पति का है। तत्पश्चात् दूसरा अधिकार वहां के वन्य जीवों का और इसके उपरांत ही क्रमशः तीसरा अधिकार भेड़ पालकों का और चौथा अधिकार स्थानीय ग्रामीणों का है। पर्यटकों का अधिकार इनके बाद है।
नंदा देवी वन प्रभाग के उप प्रभागीय वनाधिकारी शिशुपाल सिंह रावत ने कहा कि पर्यटकों को चाहिये कि वो हिमालय क्षेत्र में यात्रा के दौरान प्लास्टिक की वस्तुओं का उपयोग ना करें तथा अपने साथ कचरे के लिए एक खाली बैग भी रखे। किसी भी प्रकार का कचरा बुग्यालों के लिए घातक है।
गोष्ठी में अपने विचार रखते हुए अन्य वक्ताओं में सा. कार्यकर्ता सुभाष डिमरी ने कहा कि हमें चाहिए कि पौधरोपण के दौरान हम हिमालय क्षेत्र में उस क्षेत्र विशेष की ही स्थानीय प्रजाति के पौधों का रोपण करें। समीर डिमरी ने कहा कि बुग्यालों में टूरिस्ट गाइड का काम करने वाले गाइडों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। सभासद अमित सती ने बुग्यालों में टूरिस्टों की बढ़ती संख्या पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बुग्यालों की वहन क्षमता को देखकर ही वहां पर सीमित संख्या में ही ट्रैकिंग की अनुमति दी जानी चाहिए।
इस दौरान गोष्ठी में विनय सेमवाल,वन क्षेत्राधिकारी जोशीमठ रेंज गौरव नेगी नंदा देवी वन प्रभाग, नवभारत टाइम्स के उपसंपादक राकेश परमार,महा.विद्यालय गोपेश्वर के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ शिव चंद सिंह रावत, इंस्पेक्टर जगजीत सिंह,इंस्पेक्टर नरेंद्र सिंह,सूबेदार मेजर चमन सिंह,इंस्पेक्टर खुशाल,विशेष लोक अभियोजक मोहन पंत, सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष डिमरी, सामाजिक कार्यकर्ता कमल रतूड़ी, समीर डिमरी, ओम प्रकाश डोभाल,व्यापार संघ अध्यक्ष नैन सिंह भंडारी,सभासद अमित सती,मंगला कोठियाल, रघुबीर बर्तवाल, गौरव वशिष्ठ, सौम्या भट्ट, कविंद्र सिंह, गंगा सिंह,आदि मौजूद थे।