रघुबीर की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
भारत में महाराष्ट्र, गुजरात राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में लंपी वायरस ने भयंकर तबाही मचाई हुई है। उत्तराखंड में अबतक सैकड़ों पशुओं की मौत हो चुकी है। जिससे पशुपालकों का व्यवसाय तबाह हो गया है। स्थिति को गंभीरता से देखते पशुपालन विभाग अब अलर्ट मोड़ पर दिखाई दे रहा है। बावजूद पशुओं के मरने का सिलसिला अब भी जारी है।
उत्तराखंड में पिछले वर्ष लंपी वायरस ने दस्तक दी तो जहां इस संक्रमित बीमारी से सीमांत चमोली जिले में हजारों पशु संक्रमित हुए, वहीं दर्जनों पशुओं की भी इस महामारी से मौत हुई है। पशुपालन विभाग द्वारा इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया गया और आगे के लिए इसकी कोई खास तैयारी नहीं की गई। जिसका परिणाम हुआ कि इस वर्ष मई – जून में एक बार फिर लंपी वायरस ने चमोली जिले में अपना पांव पसार दिए। जिसमें अबतक हजारों पशु प्रभावित हुए। पशुपालन विभाग के अनुसार इस वर्ष 2023 में चमोली जिले में अभी तक 1339 पशु संक्रमित हुए हैं, जबकि 23 पशुओं की मौत और 1265 पशु रिकवर हुए हैं। जबकि विभाग के अनुसार पिछले वर्ष 2022 में 82 पशु संक्रमित हुए थे और 1पशु की मौत हुई थी। इस महामारी की रोकथाम के लिए पशुपालन विभाग द्वारा जिले में टीकाकरण के लिए 25 टीमें गठित की गई हैं। जो अब तक 96 हजार पशुओं का टीकाकरण कर चुकी है। और विभाग को सरकार से अबतक 1 लाख 29 हजार टीका उपलब्ध हुए हैं, अन्य पशुओं पर टीकाकरण का अभियान तेजी से चलाया जा रहा है।
जबकि धरातलीय हकीकत कुछ और ही तस्वीर बंया कर रही है। पशुपालन विभाग के आंकड़े जमीनी हकीकत से दूर – दूर तक मेल नहीं खा रहे हैं। लंपी वायरस से इस वर्ष जिले में जहां हजारों पशु संक्रमित हुए हैं, वहीं इस महामारी से सैकड़ों पशुओं की भी मौत हो गई है। यही नही पशुपालन की टीमें आज भी उर्गमघाटी जैसे दूरस्थ गांवों में टीकाकरण के लिए नहीं पहुंची है। जहां इस महामारी से दर्जनों पशुओं की अबतक मौत हो गई है। पशुपालकों द्वारा शासन – प्रशासन से शिकायत के बाद भी इन गांवों की अभी तक कोई सुध नहीं ली गई है। अपने पशुओं को बीमार और मरते देख पशुपालक रो रहे हैं। लेकिन इसका सुनने वाला कोई नहीं है। पीपलकोटी के नौरख गांव के समाजसेवी हर्षराज तडियाल ने बताया कि लंपी वायरस से उनके गांव में दर्जनों पशु प्रभावित हुए हैं। वहीं इस बीमारी से गांव में 6 गायों की भी मौत हुई है। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग द्वारा इस बीमारी की रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए जिससे अन्य गांवों में न फैले, लेकिन पशुपालन विभाग ऐसे करने में अभी तक नाकाम साबित हुआ है। जिसके चलते लोगों को बड़ी आर्थिकी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि कही परिवारों के रोजगार का आधार ही दुग्ध व्यवसाय है। इस महामारी में पशु के मरने से उनका रोजगार छिन गया है। वहीं दूसरी ओर रैतोली गांव के महेन्द्र सिंह ने बताया कि दुग्ध व्यवसाय ही उनका रोजगार का आधार है। इसके लिए उन्होंने पिछले वर्ष कर्ज लेकर 40 हजार की गाय खरीदी थी जिसकी लंपी बीमारी से मौत हो गई है। अब हमारा रोजगार भी छिन गया है। उन्होंने कहा कि पशुपालन विभाग किसी तरह की कोई मदद नहीं कर रहा जिसके चलते उनके गांव में 2 गाय और 2 बछिया की लंपी से मौत हो गई है। अगथला गांव के समाजिक कार्यकर्ता अर्जुन सिंह ने बताया कि उनके गांव में भी लंपी बीमारी से 3 पशुओं की मौत हो गई है। इस तरह पूरे जिले में इस महामारी से सैकड़ों पशुओं की मौत हो चुकी है!
लंपी के लक्षण
1- लंपी वायरस में पशुओं को बुखार आना
2 – गले का सूजना, खांसी होना,
3 – शरीर पर दाने, थन का सूजना और पैरों में सूजन
4 – दुग्ध उत्पादन में गिरावट
5 – गर्भित पशुओं में गर्भपात का खतरा रहता और पशु की मौत भी हो सकती
बात अपनी – अपनी
उर्गमघाटी में लंपी बीमारी से सैकड़ों पशु प्रभावित हुए हैं, वहीं दर्जनों पशुओं की अबतक मौत हो गई है। पशुपालक अपने पशुओं को लेकर चिंतित हैं और विभाग ने अभी तक कोई सुध नहीं ली है।
रघुबीर सिंह नेगी समाजसेवी
पशुओं में लंपी वायरस की रोकथाम के लिए जिले में 25 टीमें गठित कई है। जो अलग-अलग जगहों पर टीकाकरण कर रही है। अब तक 96 हजार पशुओं का टीकाकरण हो चुका है। अन्य जगहों पर भी तेजी से टीकाकरण किया जा रहा है।
डॉ. मेघा पंवार पशु चिकित्सा/ नोडल अधिकारी चमोली