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उत्तराखंड के पीपलकोटी , चमोली में पहली बार इंग माखिर अदरक का परीक्षण शुरू, अदरक की ये बेहद प्रभावी, गुणकारी और आयुर्वेद में बहु उपयोगी अदरक की यह प्रजाति देश के अन्य हिस्सों में नहीं पायी जाती है
जे पी मैठाणी
सभी फोटो – जयदीप किशोर
इंग माखिर अदरक के विशिष्ट गुणों और भविष्य की मांग को देखते हुए – सामाजिक संस्था – आगाज फैडरेशन के वैज्ञानिकों द्वारा इसका पहला परीक्षण पहली बार बायो टूरिज्म पार्क पीपलकोटी की नर्सरी में किया जा रहा है।
संस्था के समन्वयक जयदीप किशोर ने बताया कि, अभी पहले परीक्षण के रूप में फार्म फूट होल्ड कंपनी – दीमापुर नागालैंड से अग्रणी किसान श्री रुवेल द्वारा उनको इंग माखिर अदरक के राइजोम भेजे गए हैं और भविष्य में इस अदरक के परिणामों को देखते हुए चमोली में शीघ्र ही अदरक की इस प्रजाति की खेती शुरू की जायेगी। उन्होंने बताया कि, संस्था के पदाधिकारियों द्वारा – दुनिया की सबसे बेस्ट हल्दी – लैकडाँग हल्दी के अलावा काली हल्दी के राइजोम भी मेघालय की जैंतिया हिल्स से की खेती भी शुरू की जायेगी। उद्यान सचल दल केंद्र की प्रभारी सुश्री मंजू राणा कहती हैं कि, इस अदरक के आयुर्वेदिक गुण बेहद अधिक हैं और इसकी मांग बढ़ती जा रही है। आगाज संस्था द्वारा किये जा रहे इस प्रयोग के भविष्य में बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे।
नर्सरी तकनीशियन भूपेंद्र कुमार और श्रीमती रेवती देवी द्वारा इस अदरक के बीजों को जमाने का कार्य बाहर खुली क्यारियों के अतिरिक्त पोली हाउस के भीतर भी किया जाएगा. साथ ही एक वर्ष तक के आंकड़े एकत्र कर शोध कार्य आगे बढ़ाए जायेंगे।
क्या है खास इंग माखिर अदरक में
आपने अदरक के कई नाम सुने होंगे , पर शायद इंग माखिर अदरक का का नाम उत्तर भारत में नहीं सुना होगा . वैसे भी आम चलन में उत्तराखंड में सईंग या सिंग या स्यिंग माखिर या इंग माखिर अदरक जिसे मेघालय में इन्ही नामों से जाना जाता है इसका वैज्ञानिक नाम – जिन्जीबर रूबेंस ( Zingiber rubens) है. अदरक की यह प्रजाति विशुद्ध रूप से मेघालय की स्थानीय प्रजाति है और भारत में इसको अदरक की सबसे बढ़िया किस्म माना जाता है।
खासी शब्दों के अनुसार इंग माखिर नाम खासी शब्द – स्यिंग से ही निकला है जिसका शाब्दिक अर्थ – अदरक और माखिर का अर्थ छोटा होता है यानी अदरक की इस प्रजाति के कंद या राइजोम बड़े नहीं होते हैं जैंतिया पहाड़ियों के निवासी- जिनको नार कहा जाता है – वो इस अदरक को इंग ट्रा भी कहते हैं जिसका अर्थ भी छोटा अदरक होता है ! यही कारण है अदरक की इस प्रजाति के राइजोम छोटे और पतले होने के साथ साथ उन पर बहुत पतली- पतली छाल होती है, लेकिन फाइबर खूब होता है साथ ही पाउडर बनाने के लिए अच्छी मानी जाती है . लेकिन बाजार में बड़े- बड़े राइजोम की अदरक को ज्यादा महत्व दिया जाता है। वैसे तो इंग माखिर अदरक मेघालय के अनेक हिस्सों में उगाया जाता है लेकिन आसाम और मेघालय के सीमावर्ती गांवों में जैसे – खटकासला म साश्नियांग और जैंतिया जिले में सबसे अधिक उगाया जाता है। अदरक की ये बेहद प्रभावी, गुणकारी और आयुर्वेद में बहु उपयोगी अदरक की यह प्रजाति देश के अन्य हिस्सों में नहीं पायी जाती है लेकिन बंगाल अदरक की प्रजाति के कई गुण इस अदरक से मिलते जुलते है, और इन दोनों प्रजातियों पर शोधकार्य चल रहे हैं। एक शोध के अनुसार- बीजों और कंदों के माध्यम से उगाई जाने वाली अदरक की इस प्रजातियों को कई पीढ़ियों से उगाया जा रहा है और इस वजह से वहां के किसान इसकी खेती को बेहतर ढंग से कर पा रहे हैं। इसकी खेती के लिए चयन करके सिर्फ सबसे उत्तम या सुपर किस्म के कंदों को अगली फसल के लिए रख दिया जाता है। इस अदरक की खेती के लिए – उपजाऊ , काली खूब पत्तियों की खाद वाली लेकिन कम वर्षा या सिंचाई वाली जमीन सबसे बेहतर मानी जाती है।
इंग माखिर अदरक की विशेषता
मेघालय के निवासियों के अनुसार उनकी कई पीढियां इस अदरक का कई सौ वर्षों से आज तक प्रयोग कर रहे हैं और उनके अनुसार यह भारत की सबसे बेहतरीन अदरक है इस अदरक का प्रयोग – परम्परागत चिकित्सा पध्दति के अलावा कुकिंग में भी किया जाता है ! इंग माखिर अदरक में इसके अति महत्वपूर्ण घटक के रूप में इसका GINGEROL – जिन्जेरोल कंपाउंड है और इस अदरक में मौजूद जिन्जेरोल कंपाउंड की अधिक मात्रा वजह से ही इस इस अदरक में बेहद अधिक एंटीओक्सिडेंट तत्व और दर्द निवारक,ज्वरनाशक,शोथनाशक,सूजन घटाने में मदद करने वाले आयुर्वेदिक घटक और रसायन हैं जो सामान्य अदरक में या तो बेहद कम होते हैं या नहीं होते हैं ! यही नहीं अन्य अदरक प्रजाति की तुलना में इस अदरक में अधिक फाइबर होता है जो शरीर की पाचन क्रिया और उपापचय क्रिया को ठीक कर हाई ब्लड प्रेशर और शुगर के इलाज में बेहद मददगार है . इसकी एक चुटकी चूर्ण से ही भोजन का स्वाद बदल जाता है.
स्वास्थ्य वर्धक गुण
1- इस अदरक में काफी अच्छी मात्रा में जिन्जेरोल होने की वजह से शोथ नाशक है. यह तत्व त्वचा को आकर्षक बनाये रखता है, यह तत्व मानव शरीर के यौवन को बनाये रखने में सहायक है .
2- इस अदरक के सेवन से शरीर के जोड़ों में दर्द कम होता है , हड्डियों के सूजन में कमी आती है !
3- इस अदरक के सेवन से मानव शरीर में बैक्टीरिया से होने वाले रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है!
4- मेघालय में सदियों से बच्चों के पारंपरिक इलाज में इस अदरक के चूर्ण का उपयोग पेट दर्द, मितली आने में और अपच के लिए किया जाता है।
कैसे करें इंग माखिर अदरक का उपयोग
अदरक हमारे भोजन का एक महत्वपूर्ण अवयव है लेकिन अन्य अदरक की तरह इसकी हल्की सी मात्रा आपके भोजन को पौष्टिक और स्वास्थ्य को बेहतर बना सकती है और इसको कलिनरी सलाद के रूप में खाया या चबाया जा सकता है सर्दी ,खांसी, जुकाम में बेहद लाभकारी है हालाँकि इसमे रेशे अधिक होते हैं , लेकिन यह पाचन क्रिया को मजबूत करती है ! साथ ही अदरक की अच्छी सुगंध है अन्य अदरक की तुलना में इसके थोड़े से पावडर का उपयोग ही काफी होता है. मेघालय अमें इस अदरक और फर्मेंटेड सोयाबीन से एक विशेष प्रकार की चटनी – तुन्ग्रिमबाई तैयार की जाती है जो एक विशेष स्वाद से लबरेज होती है ! यही नहीं इसका उपयोग लेमनेड , चाय और कोल्ड या आइस टी के रूप में भी किया जाता है। वर्तमान समय में इंग माखिर अदरक धीरे धीरे बाजार में अपनी मांग और जगह बना रही और अब इसकी लगातार मांग बढ़ती ही जा रही है और आने वाले वर्षों में यह अदरक शायद भारत में अपना स्थान बना लेगी . क्यूंकि इसके ग्राहकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
उत्तराखंड में इंग माखिर अदरक की खेती के परिणामों और मांग को ध्यान में रखते हुए शीघ्र ही यहां भी इसकी खेती को बड़े पैमाने पर प्रचारित प्रसारित कर स्वरोजगार के साधन विकसित किये जायेंगे।