ऊखीमठ। स्थानीय जनप्रतिनिधियों व प्रदेश सरकार की पहल पर यदि केन्द्र सरकार द्वारा बुरूवा – टिगरी – विसुणीताल 20 किमी पैदल ट्रैक को विकसित करने की पहल की जाती है तो स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ – साथ बुरुवा व गडगू गाँव में होम स्टे योजना को बढ़ावा मिल सकता है तथा देश – विदेश का प्रकृति प्रेमी सोन पर्वत तथा विसुणीताल के प्राकृतिक सौन्दर्य से रूबरू हो सकता है। बता दें कि मदमहेश्वर घाटी के अन्तर्गत बुरूवा – टिगरी – विसुणीताल 20 किमी पैदल ट्रैक को प्रकृति ने अपने दिलकश नजारों से सजाया व संवारा है। बुरुवा से टिगरी तक 10 किमी पैदल ट्रैक में बांज, बुंराज, मोरु , नैर , थुनेर सहित अनेक प्रकार की अपार वन सम्पदा से सजा भूभाग में जब प्रकृति प्रेमी पर्दापण करता है तो जीवन के दुख दर्दों को भूलकर प्रकृति का हिस्सा बन जाता है।
टिगरी से विसुणीताल के 10 किमी पैदल ट्रैक पर नर्म मखमली घास पर विचरण करने से मनुष्य को परम आनन्द की अनुभूति होने लगती है। थौली से विसुणीताल तक लगभग 7 किमी के भूभाग में बरसात के समय कुखणी,माखुणी, जय, विजया सहित अनेक प्रकार की बेसकिमती जडी़ – बूटियों से सुगन्ध से मानव का अन्त करण शुद्ध हो जाता है ! सोन पर्वत के शीर्ष से सूर्य का अस्त व चन्द्रमा का उदय एक साथ दृष्टिगोचर हो सकता है! लोक मान्यता है कि एक बार एक भेड़ पालक ने अपनी कुल्हाड़ी से सोन पर्वत पर वार किया तो कुल्हाड़ी का जितना हिस्सा जमीन में धसा उतना हिस्सा सोने का हो गया था। सोन पर्वत के आंचल में विसुणीताल बसा है! लक्ष्मी के आग्रह पर विसुणीताल का निर्माण विष्णु भगवान ने किया था तथा विसुणीताल के जल से स्नान करने से सभी चर्मरोग दूर हो जाते है !
थौली से विसुणीताल तक के भूभाग में भेड़ पालक छह निवास करते है तथा अपने अराध्य देव सिद्धवा – विधवा की नित पूजा करते है ! बुरखा – टिगरी – विसुणीताल के भूभाग को प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार तो दिया है मगर इस पैदल ट्रैक के चहुमुखी विकास में केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग का सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक बना हुआ है। यदि स्थानीय जनप्रतिनिधियों व प्रदेश सरकार की पहल पर केन्द्र सरकार बुरुवा – विसुणीताल पैदल ट्रैक को विकसित करने की अनुमति देती है तो स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में इजाफा होने के साथ – साथ मदमहेश्वर घाटी के विभिन्न गांवों में होम स्टे योजना को बढ़ावा मिल सकता है। जिला पंचायत सदस्य कालीमठ विनोद राणा, मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भटट् ने बताया कि बुरुवा – विसुणीताल पैदल ट्रैक पर पर्यटन की अपार सम्भावनाये तो है मगर इस पैदल ट्रैक के चहुमुखी विकास में सेन्चुरी वन अधिनियम बाधक बना हुआ है ! क्षेत्र पंचायत सदस्य लक्ष्मण सिंह राणा, प्रधान बुरुवा सरोज भटट्, सुदीप राणा का कहना है कि यदि इस पैदल ट्रैक को विकसित करने की कवायद की जाती है तो यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य से देश – विदेश का सैलानी रुबरु हो सकते है!