रघुबीर नेगी उर्गमघाटी
मायके पहुंची भगवती गौरा मैंतियो ने किया स्वागत
देवग्राम वासियों की आराध्य भल्ला वंशजों की कुलदेवी धियाण गौरा आज शाम सात बजे अपने मायके पहुंच गयी जहाँ देवी का भव्य स्वागत किया गया। देवी की मूर्ति को ब्रह्म कमल से सजाया जाता है, जिसे फूलकोठा कहा जाता है। सभी भक्तों को ब्रह्म कमल एवं प्रसाद वितरण किया गया।
8 सितम्बर को भगवती गौरा का बुलावा गौरीज्यौत अर्थात कंडी छंतोली ले जाने वाला रात्रि विश्राम को फ्यूलानारायण मंदिर पहुंचा। जहाँ पूजा अर्चना जागर गायन हुआ सुबह तड़के ही आठ किमी दूर भनाई बुग्याल के समीप रोखनी में जात सम्पन्न कर भगवती का जागरों के द्वारा आवाह्न किया गया। दिन भर भारी वर्षा के बीच भगवती गौरा की जात रोखनी बुग्याल में हुयी चारो ओर मखमली बुग्याल ब्रहम कमल से सजी वाटिका से चुन चुन कर ब्रहम कमल भगवती का जात यात्री ले आये भारी वर्षा भी आस्था के आगे बौनी हो गयी लोकमान्यता है कि इस दिन भगवती मायके आती है कठिन रास्ते बर्फीली नदियों को पार कर भगवती फ्यूलानारायण पहुंची जहाँ फ्यूया फ्यूयाण व भूमि क्षेत्र पाल भर्की द्वारा नारायण के दरबार में स्वागत किया है।
भगवती भगवान फ्यूलानारायण की धियाण भी है इसलिए रात्रि व दोपहर की भोजन प्रसाद व्यवस्था फ्यूलानारायण मंदिर द्वारा की जाती है। सभी भक्तों एवं भगवती ने प्रसाद ग्रहण कर नारायण से विदा ली और अपने मायके की और प्रस्थान किया।आज से फ्यूलानारायण मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू होती है 14 सितम्बर को नन्दा स्वनूल के कैलाश से मायके पहुंचने के बाद 15 सितम्बर को फ्यूलानारायण के कपाट बंद हो जायेंगे जात यात्रा में प्रदीप नेगी कुलदीप रघुबीर कुलदीप रावत विक्रम कमलेश रमेश रावत हर्षवर्धन नेगी रोशन विनोद पंकज सौरभ राकेश शेलेश दिनेश चंद्र मोहन देवेंद्र शामिल थे