बसंत : केदार घाटी में फ्यूली व बुरांस के खिलने से साक्षात स्वर्ग का एहसास – लक्ष्मण नेगी ऊखीमठ

Team PahadRaftar

ऊखीमठ : केदार घाटी के अधिकांश भू-भाग में इन दिनों अनेक प्रजाति के पुष्प खिलने से यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य पर चार चांद लगे हुए हैं तथा खेत – खलिहानों से लेकर अपार वन सम्पदा से सुसज्जित जंगलों में रंग – बिरंगे पुष्प खिलने से साक्षात स्वर्ग का एहसास हो रहा है। वास्तव में देवभूमि उत्तराखंड में बसन्त पंचमी को ऋतु परिवर्तन का घोतक माना जाता है। बसन्त पंचमी के बाद प्रकृति नव श्रृंगार धारण करती है तथा पेड़ – पौधों में नव उर्जा का संचार होने लगता है। ऋतु राज बसन्त की महिमा का गुणगान युगीय लेखकों ने भी बड़े मार्मिक तरीके से किया है। बसन्त आगमन के बाद केदार घाटी का अधिकांश भू-भाग फ्यूली, बुरांस सहित अनेक प्रजाति के पुष्पों से सुसज्जित होने के कारण यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य पर चार- चांद लगे हुए हैं तथा केदार घाटी पर्दापण करने वाला प्रकृति प्रेमी अपने को धन्य महसूस कर रहा है। बसन्त पंचमी आगमन से पेड़ – पौधों के साथ प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने लगता है तथा पेड़ पौधों की कलियां अंकुरित होने लगती है तथा कई प्रकार के प्रवासी पक्षी केदार घाटी की ओर रूख कर देती है। इन दिनों बह्मबेला पर कफुवा व हिलांस के मधुर स्वर मानव के मन को अपार शान्ति की अनुभूति करवा रहे हैं। युगीन लेखकों, साहित्यकारों व संगीतकारों ने बसन्त आगमन की महिमा का गुणगान बडे़ मार्मिक तरीके से किया है। गढ़ गौरव नरेन्द्र सिंह नेगी ने बसन्त आगमन की महिमा को बड़े खुदेड़ तरीके से संकलित किया है जबकि देवभूमि उत्तराखंड के अन्य लोक गायकों ने भी बसन्त आगमन की महिमा का गुणगान यादगार व स्मरणीय तरीके से किया है। पर्यावरण प्रेमी आचार्य हर्ष जमलोकी बताते हैं कि बसन्त पंचमी ऋतु परिवर्तन का द्योतक माना गया है तथा बसन्त पंचमी से प्रकृति नव श्रृंगार धारण करती है तथा प्रकृति में नव ऊर्जा का संचार होने लगता है। ईको पर्यटन विकास समिति अध्यक्ष चोपता भूपेन्द्र मैठाणी बताते हैं कि बसन्त पंचमी के बाद तुंगनाथ घाटी में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है तथा तुंगनाथ घाटी में प्रवासी पक्षियों के आगमन के बाद तुंगनाथ घाटी में पक्षी प्रेमियों की आवाजाही भी शुरू हो जाती है जिससे स्थानीय पर्यटन व्यवसाय में भी इजाफा होता है। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भटट् ने बताया कि इन दिनों मदमहेश्वर घाटी के विभिन्न इलाकों में फ्यूली, बुंरास सहित अनेक प्रजाति के पुष्पों के खिलने से यहाँ के प्राकृतिक सौन्दर्य को निहारने से भटके मन को अपार शान्ति की अनुभूति हो रही है।जिला पंचायत सदस्य रीना बिष्ट बताती है कि बसन्त ऋतु के आगमन पर महिलाओं को मायके की याद बहुत सताती है तथा बसन्त ऋतु को महिलाओं की खुदेड़ ऋतु मानी जाती है। प्रधान कविल्ठा अरविन्द राणा बताते है कि बसन्त आगमन पर बसन्त पंचमी व चैत्र महीने का विशेष महात्म्य माना जाता है क्योंकि बसन्त पंचमी के दिन लोग घरों में जौ की बालियां लगाकर क्षेत्र की खुशहाली की कामना करते है जबकि चैत्र मास शुरू होते ही नौनिहालों सुबह – सुबह घरों की चौखट में अनेक प्रजाति के पुष्प विखेर कर बसन्त आगमन का सन्देश देते हैं।

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