स्थाई राजधानी गैरसैंण को लेकर गोपेश्वर से गैरसैंण तक नंगे पैर पदयात्रा कर रहे अांदोलनकारी प्रवीण काशी ने कहा कि पहाड़ की पीड़ा व दुख दर्दों का समाधान गैरसैंण राजधानी बनने के बाद ही हो सकता है। कहा कि पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की स्थाई राजधानी गैरसैंण बने तो राज्य का चहुंमुखी विकास हो सकता है।
मंगलवार को कर्णप्रयाग से सिमली होते हुए यह पदयात्रा आदिबदरी पहुंची। इस दौरान कर्णप्रयाग, सिमली व आदिबदरी के अलावा अन्य कस्बों, गांवों में भी पदयात्रियों ने स्थाई राजधानी गैरसैंण को लेकर जन समर्थन मांगा। जन समर्थन के दौरान आंदोलनकारी प्रवीण काशी ने कहा कि एक राज्य की दो-दो राजधानियां सही नहीं है। कहा कि एक राज्य दो रातधानियों से उत्तराखंड की जनता को लूटने का प्रयास किया जा रहा है। कहा कि दिसंबर माह में गैरसैंण भराड़ीसैंण में प्रस्तावित विधानसभा सत्र में सरकार को गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने के लिए विवश किया जाएगा। सिमली में सुशील कुमार डिमरी, हरेंद्र लडोला, पंकज मिंगवाल, जगदीश लडोला, पार सिंह बिष्ट, गजपाल सोनी, लब्बी डिमरी, अनिल डिमरी, जीत सिंह, नरेन्द्र सिंह लडोला, मुन्नी लडोला अादि ने पदयात्रियों का स्वागत कर उनकी हौसला अफजाई की। पदयात्रा में प्रवीण सिंह काशी के अलावा वीरेंद्र सिंह मिंगवाल, अरविंद हटवाल, मोहित कुकरेती, अंशी बिष्ट, भारती मिंगवाल, दीपक फर्स्वाण, सुरेन्द्र सिंह रावत, नारायण सिंह बिष्ट, भगत बर्त्वाल, योगेन्द्र राम, हरीश पंत, दिनेश बहुगुणा, मनोज रावत आदि शामिल रहे।