लाटू देवता के प्रसिद्ध धाम देवाल को यातायात सुविधा से तो जोड़ दिया गया है। मगर यहां तक पहुंचने के लिए बनी देवाल वाण सड़क पर सात सालों से डामरीकरण नहीं हो पाया है। हालत यह है कि सड़क का आधा हिस्सा ऐसे लग रहा है कि इस पर डामर ही न हुआ हो। जहां डामर बचा हुआ भी है वहां बड़े गडढों से सड़क पटी हुई है। सात सालों बाद जागा विभाग अब डामरीकरण के लिए प्रस्ताव भेजने की बात कर रहा है।
चमोली जिले का वाण गांव सबसे अंतिम गांव भी है। इस गांव का अपना पौराणिक इतिहास है। प्रत्येक 12 वर्ष में आयोजित होने वाली श्री नंदा देवी राजजात यात्रा हो या फिर प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाली लोकजात यात्रा। इस यात्रा के दौरान भी वाण गांव सड़क सुविधा से जुड़ा अंतिम गांव है। इसके बाद निर्जन पड़ावों से यात्रा गुजरती है। धार्मिक व ऐतिहासिक लिहाज से महत्वपूर्ण इस सड़क की सुध कोई नहीं ले रहा है। दरअसल, वर्ष 2014 में नंदा देवी राजजात यात्रा के दौरान इस सड़क पर देवाल से लेकर वाण तक 35 किमी क्षेत्र में डामरीकरण का कार्य किया गया था। मगर घटिया गुणवत्ता का डामरीकरण होने के कारण 2015 में ही सब उखड़ गया। वाण गांव की प्रधान पुष्पा देवी का कहना है कि विभाग द्वारा 2014 में किया गया डामरीकरण का कार्य एक साल् भी नहीं टिका। बताया कि उसके बाद लगातार लोक निर्माण विभाग थराली से लेकर शासन, प्रशासन तक को इस सड़क के डामरीकरण की गुहार ग्रामीण लगाते आ रहे हैं। परंतु अभी तक डामरीकरण तो दूर प्रस्ताव तक विभाग द्वारा नहीं भेजा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सड़क पर डामरीकरण न होने के कारण वाहनों की आवाजाही में भी खतरा बना हुआ है। लोक निर्माण विभाग थराली के अधिशासी अभियंता अजय काला ने बताया कि देवाल वाण 35 किमी सड़क के डामरीकरण का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।