अलविदा जागर लिख्वार, आपकी कमी सदैव खलेगी
संजय कुंवर
सीमांत जनपद चमोली के नौरख गांव पीपलकोटी के जागर लिख्वार बहादुर सिंह भंडारी के निधन की सूचना मिलने पर मन बेहद दुःखी है। 7 फरवरी 1960 को जन्में बहादुर सिंह भंडारी जीवनपर्यन्त सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहे। लोग उन्हें जागर लिख्वार के नाम से जानते थे। वे बीते 4 दशकों से लोकजागरों के संरक्षण में जुटे हुये थे। उन्होंने 100 से अधिक जागरों को लिपिबद्ध किया और उनका संरक्षण किया। सिद्वा-बिद्वा, नरसिंह-भैरों से लेकर नंदा राजजात, नाग देवता, महाभारत से लेकर हिमालयी बुग्यालों पर जागरों को लिपिबद्ध किया है।इनके कई जागरों को जागर गायिका पम्मी नवल ने भी अपनी आवाज दी है। इनके द्वारा 100 से अधिक दांकुड़ी, झुमेलो, चौंफला गीत और गढ़वाली कवितायेँ, हिंदी कवितायेँ भी लिखी गयी। इसके अलावा इन्होंने लगभग 200 से अधिक गढ़वाली में ओखाण (पखाने) भी लिखे। उन्होने जागृति क्लब नौरख के तत्वावधान में रामलीला का आयोजन किया जबकि शिवालिक स्पोर्ट्स क्लब के द्वारा क्रिकेट प्रतियोगिता आयोजित करवाई। वे न केवल एक नेक इंसान थे अपितु मिलनसार, सरल, मृदुभाषी, खेलप्रेमी, लोकसंस्कृतिकर्मी व्यक्तित्व के धनी थे। जितना शानदार व्यक्तित्व उतनी ही बेहतरीन भंडारी जी की लिखावट थी।उनके जाने से बंड पट्टी में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। उनके निधन पर नगरपंचायत अध्यक्ष रमेश बंडवाल, बंड संगठन अध्यक्ष शंभू प्रसाद सती, पूर्व बंड संगठन अध्यक्ष अतुल शाह, अयोध्या हटवाल, राजेश बंडवाल, भाजपा नगर अध्यक्ष राजेंद्र हटवाल सहित अन्य लोगों ने शोक व्यक्त किया।
शत शत नमन
श्रद्धाजंलि