नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क में बर्फबारी के बाद वन्य जीव तस्करों की सक्रियता बढ़ गई है। यह इलाका कस्तूरी मृग, काला भालू के अंगों की तस्करी के लिए विख्यात है। खासकर नेपाली मूल के लोग कई बार इस क्षेत्र में वन्य जीवों के अंगों की तस्करी में पकड़े जा चुके हैं। बर्फबारी के बाद वन्य जीव निचले इलाकों में पहुंचने शुरू हो गए हैं। मगर अभी तक वन विभाग वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर ज्यादा सक्रिय नजर नहीं आ रहा है।
वर्ष 1982 में नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क की स्थापना की गई। 2236.74 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क में दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीवों का संसार है। इन दिनों चमोली जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी शुरू हो चुकी है। ऐसे में ठंड से निपटने के लिए वन्य जीव निचले इलाकों की ओर रुख करने लगे हैं। यह वन क्षेत्र स्नो लेपर्ड, कस्तूरी म़ृग, काला भालू जैसे विलुप्त प्रजाति के जीवों का वास है। मगर वन तस्कर कस्तूरी मृग व काला भालू को हर वर्ष उनके अंगों की तस्करी के लिए मारते रहे हैं। बताया जा रहा है कि बर्फबारी के बाद इस नेशनल पार्क से लगे भोटिया जनजाति के गांवों के ग्रामीणों के निचले इलाकों में आने के बाद वन्य जीव तस्करों की यहां सक्रियता बढ़ गई है। यह समय वन्य जीव तस्करों के लिए मुफीद भी माना जाता है। खासकर हर साल नेपाली मूल के लोग वन्य जीवों के अंगों की तस्करी में यहां पकड़े जाते रहे हैं। बताया जा रहा है कि मजदूरी की आड़ में भी नेपाली तस्करों ने वन क्षेत्र का रुख किया है। हालांकि वन विभाग वन्य जीवों की हरसंभव सुरक्षा के दावे कर रहा है। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के प्रभागीय वनाधिकारी नंदाबल्लभ शर्मा का कहना है कि वन्य जीवों की निगरानी व वन्य जीव तस्करों को पकड़ने के लिए पूरे वन प्रभाग में 200 के करीब कैमरे लगाए गए हैं। वन्य जीव तस्करों की सक्रियता को देखते हुए लंबी दूरी की गश्त भी की जा रही है।