जोशीमठ : उदयांचल भाष्कर देव को अर्ध्य देने के साथ छठ पर्व संपन्न
सूबे के अंतिम पहाड़ी सीमांत नगर जोशीमठ में भी कड़ाके की सर्दी में छठ मैय्या की आस्था भारी पड़ती दिखाई दी। यहाँ 4 दिवसीय छठ महापर्व का समापन हर्षोल्लास के साथ हो गया। छठ पर्व का समापन आज सुबह प्रभात के समय उदयांचल भगवान भाष्कर को आस्था का अर्घ्य देने के बाद किया गया। गांधी मैदान में हुए मुख्य पूजा समारोह में आज संध्या के समय क्षेत्र के पूर्वांचली सुहागंन व्रति महिलाओं ने भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और पवित्र जल में आस्था की डुबकी लगाई। छठ पर्व पर सूर्य देव और उनकी बहन छठ मैय्या की उपासना की जाती है संतान के जीवन में सुख की प्राप्ति और संतान प्राप्ति के लिए छठ का व्रत रखा जाता है। 36 घंटे निर्जला व्रत रखने के बाद उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का समापन किया जाता है।
इस अवसर पर सूर्य को अर्घ्य देने के बाद लोगों में प्रसाद का वितरण किया गया.उसके बाद ही व्रत का पारण किया गया। छठ व्रत और छठ पूजा आदि करने से छठ मैय्या की आशीष मिलती है और निरोगी जीवन की प्राप्ति होती है।
बता दें की चार दिवसीय छठ पूजा का आज चौथा और आखिरी दिन है, कठिन व्रतों में से एक छठ का व्रत 36 घंटे तक निर्जला रखा जाता है। खरना के दिन शाम को गुड़ वाली खीर खाते हैं और फिर 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखा जाता है। खरना के दिन ही छठ पूजा की सारी तैयारी कर ली जाती है। कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन सूर्य को संध्या अर्घ्य देते हैं और छठी मैय्या की पूजा करते हैं।आज यानी 11 नवंबर के दिन सुबह फिर से उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसके बाद प्रसाद बांटा जाता है। इन सब के बाद ही व्रती महिलाएं व्रत का पारण कर सकती हैं।