ऊखीमठ! विगत 23 मई 2019 को जाल तल्ला के जंगलों में घास काटते समय झूलते बिजली के तारों के चपेट में आने के कारण दोनों पांवों से अपाहिज हुई 16 वर्षीय अंशिका के परिजनों को मुआवजा न मिलने पर बिधुत विभाग के खिलाफ न्यायालय की शरण लेगे दीक्षा प्रापटीज के चैयरमैन कुलदीप रावत! स्थानीय जनता के अनुसार विधुत विभाग की लापरवाही से कालीमठ घाटी के जाल तल्ला निवासी बीरेन्द्र सिंह की पुत्री अंशिका दोनों पांवों से अपाहिज हुई है तथा अंशिका के इलाज पर लगभग सात लाख रुपये व्यय होने से परिजनों के सन्मुख दो जून की रोटी का संकट बना हुआ है तथा परिजनों को भविष्य की चिन्ता सताने लगी है! विधुत विभाग द्वारा दोनों पांवों से अपाहिज हुई अंशिका को मुआवजा देने की कार्यवाही फाइलों में कहा गायब हुई यह यक्ष प्रश्न बना हुआ है! बता दे कि 23 मई 2019 को जाल तल्ला निवासी बीरेन्द्र सिंह की 14 वर्षीय ( अब 16 वर्षीय) पुत्री कुमारी अंशिका जंगलों में घास काटते समय बिजली की तारों की चपेट में आने के कारण दोनों पांवों से अपाहिज को गयी थी तथा परिजनों द्वारा लगभग तीन महीने तक अंशिका का इलाज श्रीनगर किया गया तथा अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद लगभग एक वर्ष तक अंशिका का इलाज घर पर चलता रहा जिससे अंशिका के इलाज पर लगभग सात लाख रुपये व्यय होने से परिवार के सन्मुख रोजी रोटी का संकट बना हुआ है!
अंशिका को अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद परिजनों द्वारा 8 जुलाई को विधुत विभाग व 12 जुलाई को जिला प्रशासन को पत्र भेजकर अंशिका को उचित मुआवजा देने की मांग की गयी थी! सितम्बर 2019 में दीक्षा प्रापटीज के चैयरमैन कुलदीप रावत ने अंशिका के घर पहुंचकर यथासम्भव आर्थिक मदद करने के बाद परिजनों को हर मदद करने का आश्वासन दिया था! आठ जुलाई 2019 को अंशिका के परिजनों द्वारा विधुत विभाग को भेजे पत्र का संज्ञान लेते हुए 24 जुलाई 2021 को निर्देशक विधुत सुरक्षा उत्तराखण्ड ने प्रबन्ध निदेशक उत्तराखण्ड पावर कार्पोरेशन लि0 को आदेश जारी कर विधुत अधिनियम 2003 की धारा 161 के अन्तर्गत दुर्घटना की जांच कर आख्या को 15 दिनों के अन्तर्गत रिर्पोट प्रस्तुत करने का फरमान जारी किया गया था तथा प्रबन्ध निदेशक के द्वारा 9 सितम्बर 2021 को प्रस्तुत की गयी रिर्पोट में स्पष्ट किया गया है कि अंशिका विधुत विभाग की लापरवाही से अपाहिज हुई है! दीक्षा प्रापटीज के चैयरमैन कुलदीप रावत का कहना है कि विधुत विभाग की लापरवाही से अंशिका अपाहिज हुई है तथा दो वर्ष से अधिक समय तक अंशिका के मुआवजा की फाइल का आलमारियों में कैद रहना समझ से परे है इसलिए न्यायालय की शरण लेकर अंशिका के इलाज पर व्यय हुए मुआवजा दिलाने के लिए जंग लडी़ जायेगी! प्रधान त्रिलोक रावत व ग्रामीण प्रदीप राणा ने बताया कि अंशिका के इलाज पर सात लाख से अधिक व्यय होने के कारण परिवार के सन्मुख दो जून की रोटी का संकट बना हुआ है!