काव्य संग्रह :- यादों की दस्तक
कवयित्री ;- शशि देवली
प्रकाशक:- रावत डिजिटल
मूल्य:- 200 रुपए
पृष्ठ:-134
आदरणीया शशि देवली जी का काव्य संग्रह ” यादों की दस्तक” पढ़ने का सौभाग्य मिला। आजकल अति व्यस्त होने की वजह से समय ही नहीं मिल पा रहा था । कुछ कविताएं पढ़ी थी जो रह रहकर मुझे आगे पढ़ने को बाध्य कर रही थी । आज दिल की बात सुनी और सारे कार्य छोड़कर “यादों की दस्तक” की सैर कर आयी । खूबसूरत आवरण चित्र जो कि ” दीपिका घिल्डियाल” जी ने बनाया है आकर्षित करता है ।आदरणीया शशि जी ने अपना काव्य संग्रह अपने गुरुजनों एवं अपने माता-पिता को समर्पित किया है । शुरुआत अपनी बात कहकर की गई है । संग्रह में 98 कविताएं हैं । हर कविता में एक नयापन है । काव्य की प्रथम कविता “दीप जलाने निकली हूँ” पढ़कर ही आप समझ जाते हो कि इस काव्य संग्रह में साहित्य प्रेमियों के लिये कितने अनमोल काव्य रत्न छुपे है ।
कुछ चित्र अधूरे से है जो
मन के दर्पण में डोले हैं
यादों के बादल बरसे हैं
मानस में मधुरस घोले हैं
वंचित अधरों पर मैं फिर से
मुस्कान सजाने निकली हूँ
अंतर्मन में आशाओं का
मैं दीप जलाने निकली हूँ
शानदार रचना के साथ आदरणीया “शशि देवली” जी ने इस काव्य संग्रह की शुरुआत की है । “एक कविता बनती है” में साहित्य सृजन कैसे होता है अपनी बिटिया को सम्बोधित करते हुए वह सुंदर काव्यात्मक शब्दों के साथ समझाती है ।
“यादों के इस जीवन में
अरमानों की डोली संवरती है
तब एक कविता बनती है ”
लगभग हर विषय पर उन्होंने अपनी कलम चलाई हैं । प्रेम हो,विरह हो या फिर राजनीति हो या समाज में व्याप्त कुप्रथाएं सभी पर उनकी कलम ने अपने रंग बिखेरे हैं । “फिर एक भारत निर्माण हो’ शहीद” सन्यास ” ये आखिरी मौसम ” आंखे नहीं रोती” जैसी रचनाएं पठनीय है ।
“कचरे के ढेर में” रचना तो दिल को छू लेती हैं —
कहते हैं जिसको पुरूष समाज में
रेशमी परिधानों में पलता है
रात के अंधेरों में हर रोज
पाप घिनोने करता है ”
धिक्कार है ऐसे पतित पुरुष को
जो औरतों से खिलवाड़ करे
औरत की देह को नोच-नोंचकर
उस पर घिनोने अत्याचार करे ”
“कचरे के ढेर में ” रचना पुरुष समाज के घिनोने रूप पर प्रहार करती हैं । शशि जी की लेखनी काबिले तारीफ है । हर रंग बिखेर दिया है उन्होंने । “आंखों का पानी”बन्ध मुट्ठी “मासूम घसियारी” जैसी रचनाएँ पाठकों को पूरी तरह बांधने में सक्षम हैं। लगभग हर रचना दिल को छू जाती है । हर रचना के बारे में लिखने बैठु तो मेरे शब्द ही कम पड़ जाएंगे । एक सुंदर पठनीय काव्य संग्रह के प्रकाशन के लिये आदरणीया “शशि देवली” जी को हार्दिक शुभकामनाएं । माँ शारदे आपकी लेखनी पर सदैव विराजमान रहें ।
इसी शुभकामनाओं के साथ
समझदारों की भीड़ में
आपकी सखी
रामेश्वरी “नादान”