ऊखीमठ। तुंगनाथ घाटी की ग्राम पंचायत दैडा के पापड़ी तोक के 18 परिवार पर कभी भी प्रकृति का कहर बरस सकता है। वर्ष 1992 से पापड़ी तोक के निचले हिस्से में हो रही भूधसाव के कारण तोक के 18 परिवार 29 वर्षों से विस्थापन की आस लगाए बैठे हैं। मगर शासन – प्रशासन स्तर से 18 परिवारों को सिर्फ कोरे आश्वासन ही मिल रहे हैं। यदि समय रहते पापड़ी तोक के 18 परिवारों का विस्थापन नहीं हुआ तो भविष्य में भारी संख्या में जनहानि होने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।
आलम यह है कि आसमान में बादल छाने से पापड़ी तोक के 18 परिवार का दिन का चैन रातों की नींद हराम हो जाती है। रात्रि के समय मूसलाधार बारिश में पापड़ी तोक के 18 परिवार एक दूसरे को टार्च की रोशनी दिखाकर रात्रि गुजारने को विवश हैं। बता दें कि तुंगनाथ घाटी की ग्राम पंचायत दैडा़ के पापड़ी तोक के नीचले हिस्से में वर्ष 1992 से भूधसाव शुरू हो गया था। भूधसाव होने का मुख्य कारण आकाश कामिनी नदी के किनारे तेज उफान के कारण भूमि कटाव माना जा रहा है। नदी किनारे भूमि कटाव होने के कारण कुण्ड – चोपता – गोपेश्वर मार्ग पर पापड़ी तोक के निचले हिस्से में लगातार खिसकता जा रहा है जिससे पापड़ी तोक की जमीन भी धीरे – धीरे खिसकने से तोक के 18 परिवार जीवन व मौत के साये में दिन गुजारने को विवश बने हुए हैं।
विगत वर्ष भी तोक के निचले में भूधसाव अधिक होने से कई मकानों में दरारें पड़ गयी थी। एक परिवार घर छोड़ने को विवश हो गया था। विगत दिनों मोटर मार्ग का अधिकांश हिस्सा खिसकने से पापड़ी तोक के सतेन्द्र सिंह, योगेन्द्र सिंह, प्रेम लाल, सन्दीप लाल, रूप लाल, दिनेश लाल, रमेश लाल, दिनेश लाल पुत्र श्याम लाल की मकानों में दरारें पड़ने ग्रामीण खौफजदा है, जबकि कुलदीप सिंह और प्रदीप का मकान विगत वर्ष क्षतिग्रस्त होने से वे एक वर्ष पूर्व ही मकान छोड चुके हैं। प्रधान दैडा़ योगेन्द्र सिंह ने बताया कि पापड़ी तोक के 18 परिवारों पर कभी भी प्रकृति का कहर बरस सकता है। उन्होंने बताया कि तोक के 8 परिवारों की मकानों में लगातार दरारें पड़ती जा रही है तथा शेष मकाने कभी भी खतरे की जद में आ सकती है। उन्होंने बताया कि शासन – प्रशासन से विस्थापन के लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है। पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चण्डी प्रसाद भटट् ने भी पापड़ी तोक का भ्रमण कर प्रभावित परिवारों को आश्वासन दिया की शीघ्र पापड़ी तोक के 18 परिवारों के विस्थापन के लिए मुख्यमंत्री व आपदा मंत्री को ज्ञापन भेजकर विस्थापन की मांग की जायेगी।