ऊखीमठ। मदमहेश्वर घाटी के ग्रामीणों की अराध्य देवी भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में गुरूवार देर सांय से पौराणिक जागरों का गायन विधिवत शुरू हो गया है। पौराणिक जागरों का गायन प्रतिदिन भगवती राकेश्वरी की सांय कालीन आरती के बाद रात्रि आठ बजे से लेकर दस बजे तक हो रहा है। भगवती राकेश्वरी के मन्दिर में दो माह तक पौराणिक जागरो का गायन होगा तथा आश्विन की दो गते को भगवती राकेश्वरी को बह्म कमल अर्पित होने के बाद पौराणिक जागरो का समापन होगा।
जानकारी देते हुए राकेश्वरी मन्दिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने बताया कि गुरूवार को सावन माह के शुभारंभ अवसर पर पौराणिक जागरो का गायन विधिवत शुरू हो गया है तथा पौराणिक जागरों के शुरू होने से पूर्व कई पौराणिक परम्पराओं का निर्वहन किया गया। उन्होंने बताया कि पौराणिक जागरों का शुभारंभ भगवती राकेश्वरी की सांय कालीन आरती के बाद रात्रि आठ बजे से शुरू हुआ है। बताया कि पौराणिक जागरों के गायन में पूर्ण सिंह पंवार शिवराज पंवार, मुकन्दी सिंह पंवार, कार्तिक खोयाल, अमर सिंह रावत, राम सिंह पंवार, लाल सिंह रावत, विनोद पंवार तथा जसपाल खोयाल द्वारा अहम योगदान दिया जा रहा है!
बद्री केदार मन्दिर समिति के पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत ने बताया कि पौराणिक जागरो में अनेक देवी – देवताओं की स्तुति तथा जीवन लीलाओं ब्याखान किया जाता है तथा सभी जागरो गाने वालों को ब्रह्मचर्य का पालन करना अनिवार्य होता है! हरेन्द्र खोयाल ने बताया कि पौराणिक जागरों के गायन से भगवती राकेश्वरी की तपस्थली रासी गांव का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। उन्होंने बताया कि यदि प्रदेश सरकार पौराणिक जागरों के संरक्षण व संवर्धन पर ध्यान देती है तो आने वाली पीढ़ी भी पौराणिक जागरों के गायन में रूचि रख सकती है।