राजस्व ग्राम की मांग के लिए पटवारी से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगाने के बावजूद अभी तक कोई कार्रवाई ना होने से ग्रामीणों में मायूसी है। आखिर बड़ा सवाल यह कि एक छोटी सी राजस्व ग्राम की मांग के लिए मुख्यमंत्री तक गुहार लगाने की आवश्यकता क्यों? यह स्थिति केवल ठेली गांव की ही नहीं जिले में ऐसे दर्जनों गांवों की यही स्थिति है। सरकार और प्रशासन इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा है जिसका परिणाम है कि एक छोटी सी मांग के लिए ग्रामीणों को मुख्यमंत्री तक गुहार लगानी पड़ रही है।
गौरतलब है कि चमोली जिले के दशोली ब्लॉक के मेड ठेली पंचायत के ठेली गांव के ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से लिखित व मौखिक रूप से गांव को राजस्वा ग्राम की मांग की गई। ग्रामीणों का कहना है कि राजस्व ग्राम न होने से उनके गांव में सरकारी व गैर सरकारी विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं। साथ ही लोगों को अपने वन पंचायत पर भी हक – हकूक का अधिकार नहीं है। जिससे ठेली गांव का विकास अवरुद्ध हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि आज उनके गांव में आठवीं पीढ़ी चल रही है। उनके मूल दस्तावेजों में गांव का नाम न होने से उन्हें दिक्कतें आ रही हैं। लोगों का कहना है कि सन 1956 के बाद भूमि का पैमाईश नहीं की गई है जिसके चलते उनको इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि उस समय से अब गांव का बहुत विस्तार हो गया है।
ठेली गांव की सामाजिक कार्यकत्री कमला रावत ने बताया कि उनके द्वारा पटवारी, उप जिलाधिकारी, जिलाधिकारी चमोली के साथ ही विधायक और मुख्यमंत्री तक ज्ञापन देकर गांव को राजस्व विलेज बनाने की मांग की गई है। कमला रावत ने कहा कि राजस्व गांव बनने से उनके यहां सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ आम जनता को मिलेगा और वन पंचायत भूमि पर भी उनका अपना हक- हकूक होगा और गांव का चौमुखी विकास होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि मुख्यमंत्री उनकी मांग को जरूर पूरी करेंगे।