विषय- श्रद्धांजलि
नया नजरिया देकर तुमने,
एक उम्मीद जगाई थी।
उत्तराखंड की वादियों में,
हरियाली फैलाई थी।
हे! हिमालय के रक्षक, श्रद्धांजलि देती पुरवाई तुम्हें।
शत शत नमन हे युगपुरुष, नमआँखें देती विदाई तुम्हें।।
देश प्रेम था स्वार्थ तुम्हारा,
स्वार्थ ना कोई और किया।
समाज सेवा और देश सेवा के,
हर अवसर को सिरमौर किया।
सेवा के हर एक भाव ने, उच्च ख्याति है दिलाई तुम्हें।
शत शत नमन हे युगपुरुष ,नम आँखें देती विदाई तुम्हें।।
प्रकृति प्रेम ने चिपको आंदोलन का,
तुमको प्रणेता बना दिया।
जन जागरूकता फैलाई थी ऐसे,
जन-जन का नेता बना दिया।
हे वृक्षमित्र स्वयं पुष्पमाला,प्रकृति ने है पहनाई तुम्हें।
शत शत नमन हे युगपुरुष, नम आँखें देती विदाई तुम्हें।।
स्वरचित
सुनीता सेमवाल “ख्याति”
रुद्रप्रयाग उत्तराखंड