ऊखीमठ : वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के दूसरे चरण में विकराल रूप धारण करने के कारण शासन द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार कर्फ्यू घोषित होने से क्षेत्र के सभी मठ – मन्दिरों से लेकर पर्यटक स्थलों में वीरानी छाई हुई है तथा क्षेत्र का तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित होने से स्थानीय युवाओं के सन्मुख दो जून की रोटी का संकट खड़ा होने से उन्हें भविष्य की चिंता सताने लग गई है! आगामी 17 मई को केदारनाथ के कपाट खुलने की तैयारियों को लेकर गुलजार रहने वाले यात्रा पड़ावों पर सन्नाटा पसरा हुआ है!
केदार घाटी का जनमानस 18 अगस्त 1998 से लेकर आज तक लगातार प्राकृतिक आपदाओं की मार झेलने की विवश बना हुआ है। विगत दो वर्ष पूर्व की बात करें तो इन दिनों भगवान केदारनाथ का शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर, भगवान तुंगनाथ का शीतकालीन गद्दी स्थल मक्कूमठ, सिद्धपीठ कालीमठ, विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी, शिव – पार्वती विवाह स्थल त्रियुगीनारायण, गौरी माता मन्दिर गौरीकुण्ड, रूच्छ महादेव, राकेश्वरी मन्दिर रासी, कार्तिक स्वामी तीर्थ तथा पर्यटक स्थल देवरिया ताल तीर्थ यात्रियों तथा सैलानियों से गुलजार रहते थे मगर विगत दो वर्षों से वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण इन तीर्थ व पर्यटक स्थलों में वीरानी छाई हुई है।
भगवान केदारनाथ, द्वितीय केदार के नाम से विख्यात मदमहेश्वर तथा तृतीय केदार के नाम से विख्यात तुंगनाथ के कपाट खुलने से पूर्व गुप्तकाशी, फाटा, शेरसी, बडासू, रामपुर, सीतापुर, सोनप्रयाग, गौरीकुण्ड, जंगलचट्टी, रासी, गौण्डार, बनातोली, खटारा, नानौ, दुगलविट्टा, बनियाकुण्ड सहित छोटे बड़े यात्रा पड़ावों पर खूब रौनक रहती थी तथा यात्रा पड़ावों पर व्यवसाय कर रहे व्यापारियों को उम्मीद रहती थी कि आगामी कुछ दिनों में सभी धामों के कपाट खुलने के बाद तीर्थ यात्रियों व सैलानियों की आवाजाही होने से क्षेत्र की आर्थिकी सुदृढ़ होगी मगर विगत दो वर्षों से वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन तथा कर्फ्यू लगने से सभी के सपने चकनाचूर हो गये हैं!
एक रिपोर्ट के अनुसार विगत वर्ष व इस वर्ष केदारनाथ, मदमहेश्वर तथा तुंगनाथ धामों की यात्रा स्थगित होने के कारण राजधानी दिल्ली का भी व्यापार प्रभावित हुआ है तथा देव स्थानम् बोर्ड, जिला पंचायत, तीर्थ पुरोहितों, हक – हकूधारियो, केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग सहित यात्रा व्यवसथाओ से जुड़े विभिन्न सामाजिक संगठनों, महिला स्वयं सहायता समूहों की आय में भारी गिरावट देखने को मिली है तथा स्थानीय व्यापार खासा प्रभावित हुआ है! पूर्व विधायक श्रीमती आशा नौटियाल का कहना है कि वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण के कारण स्थानीय व्यापारी दो जून की रोटी के लिए मोहताज बना हुआ है! क्षेत्र पंचायत प्रमुख श्वेता पाण्डेय ने बताया कि कपाट खुलने से पूर्व गुलजार रहने वाले यात्रा पड़ावों में सन्नाटा पसरा हुआ है तथा हर एक जनमानस को भविष्य की चिंता सताने लग गयी है। मदमहेश्वर घाटी विकास मंच अध्यक्ष मदन भटट् का कहना है कि यहाँ का जनमानस वर्ष 1998 से लगातार प्रकृति की मार झेलने को विवश बना हुआ है। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के रेज अधिकारी ललित मोहन नेगी ने बताया कि विगत वर्ष लांकडाउन तथा इस वर्ष कर्फ्यू लगने से देवरिया ताल आने वाले सैलानियों की संख्या में भारी गिरावट आई है।