ऊखीमठ। चैत्र नवरात्रों के पहले दिन सैकड़ों श्रद्धालुओं ने सिद्धपीठ कालीमठ में पूजा – अर्चना कर मनौती मांग कर विश्व कल्याण की कामना की। देव स्थानम् बोर्ड द्वारा मुख्य मन्दिर सहित सिद्धपीठ कालीमठ का विशेष श्रृंगार किया गया है। चैत्र नवरात्रों में विद्वान आचार्यों के वैदिक मंत्रोंच्चारण से सिद्धपीठ कालीमठ का वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। मंगलवार को विद्वान आचार्यों व वेदपाठियों द्वारा बह्म बेला पर पंचाग पूजन के तहत गणेश, कुबेर, पृथ्वी, अग्नि का पूजन कर भगवती काली सहित तैतीस कोटि देवी – देवताओं का आवाह्न कर आरती उतारी। ठीक सात बजे सुबह से श्रद्धालुओं की आवाजाही शुरू हो गयी ।
भगवती काली के भक्तों ने महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती, भैरव नाथ की विशेष पूजा – अर्चना कर तीन युगों से प्रज्वलित धुनी की भस्म धारण कर मनौती मांगी। आचार्य सुरेशानन्द गौड़ ने बताया कि चैत्र नवरात्रों के पहले दिन सिद्धपीठ कालीमठ में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। वेदपाठी रमेश चन्द्र भटट् का कहना है कि भगवती काली का पावन तीर्थ सरस्वती नदी के किनारे बसा है तथा इस तीर्थ में श्रद्धालुओं को मनौवाछित फल की प्राप्ति होती है! पण्डित दिनेश प्रसाद गौड़ ने बताया कि चैत्र व शरादीय नवरात्रों में सिद्धपीठ कालीमठ में पूजा – अर्चना का विशेष महात्म्य है।
पण्डित विपिन भटट् का कहना है कि सिद्धपीठ कालीमठ में वर्ष भर श्रद्धालुओं का आवागमन जारी रहता है। मठापति अब्बल सिह राणा ने बताया कि सिद्धपीठ कालीमठ में हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है। प्रबन्धक आनन्द सूरज तिवारी व देव स्थानम् बोर्ड के बिक्रम सिहं रावत ने बताया कि आगामी नवमी पर्व पर ऋषिकेश के श्रद्धालु द्वारा सिद्धपीठ कालीमठ को बिशेष रूप से सजाया जायेगा। नारायण दत्त जुयाल, क्षेत्र पंचायत सदस्य सोमेश्वरी भटट्, लवीश राणा, श्री कृष्ण देवशाली का कहना है कि सिद्धपीठ कालीमठ में दर्शन मात्र से अपार आनन्द की अनुभूति होती है।