गोपेश्वर : उत्तराखंड सरकार द्वारा गैरसैंण में बद्री गाय के संरक्षण के लिए बनाई जा रही वृहद कार्ययोजना का बहुगुणा विचार मंच ने की सराहना

Team PahadRaftar

चमोली : उत्तराखंड सरकार प्रदेश के पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा द्वारा गैरसैंण भराड़ीसैंण में बद्री गाय के संरक्षण और श्वेत क्रांति स्थापित के लिए जो वृहद कार्ययोजना तैयार किया जा रहा है उसका बहुगुणा विचार मंच के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश पुजारी ने सराहना की है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 1973–74 में स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा, तत्कालीन मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश ने पर्वतीय क्षेत्र में वृहद दुग्ध उत्पादन के लिए “विदेशी पशु प्रजनन संस्थान” भराड़ीसैंण में स्थापित किया था, जिसमें डेनमार्क से समुद्री मार्ग के जरिए लगभग 100 जर्सी गाय व सांड आयातित किए गए थे, और उन जर्सी गायों से उत्पन्न गायों से गढ़वाल कुमाऊं में श्वेत क्रांति का आगाज हुआ। घर-घर, गांव-गांव जर्सी गाय पहुंच गई और आज संपूर्ण उत्तराखंड दुग्ध उत्पादन में गुजरात प्रांत के समकक्ष है, परंतु दुर्भाग्य से विगत सरकारों की नासमझी से वर्तमान में यह संस्थान समाप्त हो गया है और बची–खुची गायें पशुलोक ऋषिकेश में पहुंचाई जा सकी है। प्रदेश सरकार बद्री गाय जो उत्तराखंड में ही उपलब्ध है के संरक्षण के लिए एक अखिल भारतीय स्तर पर भराड़ीसैंण में संस्थान खोलने जा रही है, जिसमें एक उच्च शिक्षण संस्थान विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया जाएगा और आधुनिक कार्यशाला व प्रयोगशाला भी स्थापित की जाएगी ताकि बद्री गायों को संरक्षित किया जा सके और अधिक उन्नत बनाया जा सके, उनके अनुसार कार्य योजना तैयार है और मुख्यमंत्री जी के निर्देशों पर वित्त विभाग से भी इसके लिए क्लेरेंस मिल गई है और अब इसके निर्माण व स्थापना के लिए विश्व बैंक व नाबार्ड से वार्ता चल रही है। बहुगुणा मंच ने मंत्री के इस सराहनीय कदम का स्वागत करते हुए कहा कि यदि पहाड़ी गायों का विकास व संरक्षण किया जाए तो एक दिन भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व में बद्री गया व इसके उत्पाद घी, मक्खन, छांछ आदि छा जाएंगे। वर्तमान में ही इस गाय का घी लगभग 1500 रुपए प्रति किलो है, इस संवर्धन से पहाड़ी लोग ही नहीं संपूर्ण उत्तराखंड के लोग लाभान्वित होंगे और गायों के संवर्धन के साथ-साथ यहां की आर्थिकी भी मजबूत होगी।
दूसरी और इस विश्वविद्यालय में वेटरनरी कॉलेज, मत्स्य पालन, भेड़ पालन, रेशम व ऊन पर आधारित Woolen & Silk textile college भी स्थापित होंगे जैसे स्वर्गीय मुलायम सिंह द्वारा मदोही के कालीन उद्योग को बचाने के लिए वहां Carpet college of textile स्थापित वर्ष 1997–98 में किया गया।। हमारा प्रदेश सरकार से अनुरोध है कि भराड़ीसैंण में स्थापित होने वाले इस संस्थान का नाम “अखिल भारतीय हेमवती नंदन बहुगुणा बद्री गाय संरक्षण संस्थान” रखा जाए, ताकि उस दूरदर्शी व्यक्ति की याद चिरस्थाई हो सके, जिसने आज से 50 वर्ष पूर्व पहाड़ों में श्वेत क्रांति के लिए विदेशों से समुद्र के जरिए गायों का काफिला मंगा कर पर्वतीय अंचल में स्थापित किया था।

 

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