जोशीमठ : रविग्राम में नौ दिवसीय पांडव नृत्य शुरू
संजय कुंवर
सीमांत प्रखंड ज्योतिर्मठ के रविग्राम में पांडव नृत्य का हुआ आगाज, शहरी परिवेश के वावजूद नगर पालिका क्षेत्र के रविग्राम जोशीमठ के स्थानीय निवासियों ने अपनी पौराणिक परंपराओं को ने केवल जीवित रखा है बल्कि रवि ग्राम की युवा पीढी भी परंपराओं के निर्वहन मे बढ़चढ़ कर भाग ले रही है।
ज्योतिर्मठ नगर के रविग्राम में 11 दिसंबर से पांडव नृत्य मेले का शुभारंभ हुआ है। यह देव लोक नृत्य उत्सव अब 9 दिनों तक रवि ग्राम गांव के पंचायत चौक में विधि विधान पूर्वक चलेगा। उत्तराखंड के अंतिम सरहदी नगर जोशीमठ समेत कई इलाकों में आजकल शीत ऋतु में पांडव नृत्य का आयोजन होता है. यह उत्तराखंड का पारंपरिक लोकनृत्य है. इस पांडव नृत्य में महाभारत के पांचों पांडवों और द्रौपदी की पूजा की जाती है. दरअसल यह नृत्य प्रत्येक वर्ष नवंबर से फरवरी के बीच आयोजित होता है. यह पौराणिक नृत्य मुख्य रूप से उन जगहों पर होता है जहां पांडवों ने अपने अस्त्र शस्त्र छोड़े थे. वहीं केदारनाथ-बदरीनाथ धामों के पास वाले गांवों में होने वाला पांडव नृत्य सबसे रोमांचक माना जाता है.
इस नृत्य में ढोल-दमाऊं जैसे पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप और धुनों पर विशेष प्रकार का सामूहिक देव नृत्य किया जाता है.इस नृत्य में पांडव पश्वों (अवतारी पुरुष) के बाण निकालने का दिन, धार्मिक स्नान, मोरु डाली, मालाफुलारी, चक्रव्यूह, कमल व्यूह, गरुड़ व्यूह जैसे मुख्य कार्यक्रम होते हैं. पांडव नृत्य में सबसे आकर्षक होता है ‘चक्रव्यूह’ नाटक. इस नृत्य में पांडवों और द्रौपदी की विशेष पूजा की जाती है. वहीं इन दिनों जोशीमठ नगर क्षेत्र के रवि ग्राम गांव में भी पांडव नृत्य की धूम है.गांव की खुशहाली और सुख समृद्धि की कामना के साथ, हर वर्ष पौराणिक परंपरा को जीवंत रखने के उद्देश्य को लेकर पांडव नृत्य का आयोजन होता है. जिसमें पांच भाई पांडव गांव के ही मनुष्यों (पश्वा) पर अवतरित होते हैं. साथ ही माता कुंती, द्रोपदी, अभिमन्यु ,हनुमान, श्री कृष्ण आदि भी इस पांडव नृत्य के मुख्य पात्र के रूप में सामने आते हैं. इसके अलावा अन्य देवी देवता भी पांडव नृत्य में भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए अवतरित होते हैं. नौ दिनों तक दिन और रात पांडव ढोल-दमाऊ की ताल पर नृत्य करते हैं.