होली पर्व उल्लास का, फागुनी प्रकृति, रंगों की छटा – मनोज तिवारी ” निशान्त “

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होली पर्व उल्लास का,
फागुनी प्रकृति,
रंगों की छटा,
बिखरी चारो ओर,
टेसू, सेमल के
फूलो का रूप माधुर्य,
सरसो के पीत पुष्पो,
भँवरों,तितलयो का
ऋतु राग,
चारो ओर प्रेम की
रसधार,
अंतस के कलुष,
को मिटाकर
आनंदो उल्लास का,
प्रकृति के प्रवाह का,
महा पर्व होली,
टेसू ,केसर, मजीठ
नीम ,पलाश के
रंगों की बहार का
लोक उत्सव होली का
त्यौहार,
फाग,होरी,धमार
रसिया,जोगीरा,
ठुमरी राग का,
प्रकृति का
मंगलोत्सव,
नृत्य,गान,संगीत का
होली त्योंहार,
उल्लास का,
हंसी,ठिठोली,
लय,चुहल
आनंद, मस्ती का,
जीवन की ,
एकरसता को,
दूर कर
रंगों की मधुरता,
घोलता,
नई नवेली
दुल्हन सा
प्रकृति का
अनुपम श्रृंगार
बुराई पर
अच्छाई की
जीत का
पर्व
होली का त्योहार,

मनोज तिवारी,,,,निशान्त,,,

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