होली के रंग गुलाबी लाल, उड़ते संग अबीर गुलाल – ज्योति बिष्ट

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राधा घोले मटकी में रंग,
करे प्रतीक्षा सखियों संग।
फागुन की सतरंगी भोर,
ढूँढें नैना कित है चितचोर।

होली के रंग गुलाबी लाल,
उड़ते संग अबीर गुलाल।
मचल के नाचे मन का मोर,
ढूँढें नैना कित है चितचोर।

रंग रंगीली होली राग,
हुलियारे गाते हैं फाग।
रंग हैं छाए चारों ओर,
ढूँढें नैना कित है चितचोर।

बजते ढोलक और मृदंग,
गली,कुंज होली हुड़दंग।
मन में भी प्रीत मचाए शोर,
ढूँढें नैना कित है चितचोर।

रंग भरे पिचकारी हाथ,
श्याम साँवरे रंग लूं साथ।
रंगों से बाँधूं प्रीत की डोर,
ढूँढें नैना कित है चितचोर।

रंगों का त्यौहार ये होली,
खेले मतवालों की टोली।
अब मन पे ना कोई जोर,
ढूँढें नैना कित है चितचोर।

स्वरचित
ज्योति बिष्ट
गोपेश्वर, चमोली, उत्तराखंड

2 thoughts on “होली के रंग गुलाबी लाल, उड़ते संग अबीर गुलाल – ज्योति बिष्ट

  1. बहुत सुन्द प्रस्तुति दीदी🙏🙏🙏🙏

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