ऊखीमठ : कार्तिक स्वामी मंदिर में 14-15 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी मेले की तैयारियां जोरों पर, निसंतान दंपति भी करेंगे संतान प्राप्ति की कामना

Team PahadRaftar

लक्ष्मण नेगी 

ऊखीमठ : 8530 फीट की ऊंचाई पर तथा क्रौंच पर्वत के शीर्ष पर विराजमान देव सेनापति भगवान कार्तिक स्वामी के तीर्थ में आगामी 14 नवम्बर बैकुंठ चतुर्दशी व 15 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन लगने वाले दो दिवसीय बैकुंठ चतुर्दशी मेले की तैयारियां शुरू कर दी गयी है। 14 नवम्बर की रात्रि को कार्तिक स्वामी मन्दिर परिसर में रात्रि भर अखण्ड जागरण, कीर्तन भजनों का आयोजन किया जायेगा तथा चारों पहर चार आरतियां उतारी कर भगवान कार्तिक स्वामी सहित 33 कोटी देवी – देवताओं का आवाह्न कर विश्व समृद्धि की कामना की जायेगी तथा नि:सन्तान दम्पतियों द्वारा रात्रि भर हाथों में प्रज्वलित दीप लेकर पुत्र प्राप्ति की कामना की जायेगी।

दो दिवसीय बैकुंठ चतुर्दशी मेले के आयोजन लो लेकर कार्तिकेय मन्दिर समिति ने तैयारियां शुरू कर दी है। जानकारी देते हुए मन्दिर समिति कार्यकारी अध्यक्ष बिक्रम सिंह नेगी ने बताया कि आगामी 14 व 15 नवम्बर को कार्तिक स्वामी तीर्थ में लगने वाले दो दिवसीय बैकुंठ चतुर्दशी मेले की तैयारियां शुरू कर गयी है तथा 14 नवम्बर को विद्वान आचार्यों द्वारा ब्रह्म बेला पर पंचाग पूजन के तहत अनेक पूजाएं सम्पन्न कर भगवान कार्तिक स्वामी सहित 33 कोटि देवी – देवताओं का आवाहन कर दो दिवसीय बैकुंठ चतुर्दशी मेले का शुरू किया जायेगा तथा श्रद्धालुओं द्वारा पूरे दिन पूजा – अर्चना व जलाभिषेक कर मनौती मांगेगे। उन्होंने बताया कि शाम सात बजे से अखण्ड जागरण, कीर्तन भजनों का शुभारंभ होगा तथा रात्रि नौ बजे, 12 बजे, 3 बजे तथा 15 नवम्बर को ब्रह्म बेला पर 6 बजे चारों पहर की चार आरतियां उतार कर विश्व समृद्धि व क्षेत्र के खुशहाली की कामना की जायेगी तथा अन्तिम आरती के साथ अखण्ड जागरण, कीर्तन भजनों का समापन होगा। उन्होंने बताया कि बैकुंठ चतुर्दशी के पावन अवसर पर नि:सन्तान दम्पति हाथों में रात्रि भर जलते दीपक लेकर पुत्र प्राप्ति की कामना करेगें तथा 15 नवम्बर को दिन भर श्रद्धालु पूजा – अर्चना व जलाभिषेक करेगें। मन्दिर समिति प्रबन्धक पूर्ण सिंह नेगी, चन्द्र सिंह नेगी, बलराम सिंह नेगी, रमेश सिंह नेगी, उत्तम सिंह नेगी ने दो दिवसीय बैकुंठ चतुर्दशी मेले में आम जनमानस से शामिल होकर पुण्य अर्जित करने का आवाह्न किया है।

कार्तिक स्वामी तीर्थ में बैकुंठ चतुर्दशी का महात्म्य

ऊखीमठ : देव सेनापति भगवान कार्तिक स्वामी के माता – पिता से रूष्ठ होने तथा निर्वाण रूप लेकर क्रौंच पर्वत पर जगत कल्याण के लिए तपस्यारत होने के कई युगों बाद एक दिन पार्वती ने पुत्र विरह में आकर भगवान शिव से कहा कि मुझे पुत्र कार्तिकेय की बहुत याद आ रही है। पार्वती के बचन सुनकर शिव जी को भी पुत्र कार्तिकेय की याद आने लगी तो कार्तिक मास की बैकुंठ चतुर्दशी को शिव – पार्वती पुत्र कार्तिकेय को मिलने के लिए कैलाश से क्रौंच पर्वत के लिए रवाना हुए तो देव सेनापति होने के कारण 33 कोटि देवी – देवता भी शिव पार्वती के साथ क्रौंच पर्वत पहुंचे तो देव सेनापति कुमार कार्तिकेय ने जब शिव – पार्वती को क्रौंच पर्वत की ओर अग्रसर होते देखा तो वे क्रौंच पर्वत से चार कोस दूर हिमालय की ओर चले गए। क्रौंच पर्वत तीर्थ से भगवान कार्तिकेय के हिमालय की ओर गमन करने के बाद शिव पार्वती सहित 33 कोटि देवी – देवताओं ने वैकुंठ चतुर्दशी की रात्रि भर कुमार कार्तिकेय की स्तुति की तथा कार्तिक पूर्णिमा को ब्रह्म बेला पर शिव – पार्वती कैलाश के लिए रवाना हुए तथा 33 कोटि देवी – देवता क्रौंच पर्वत पर ही पाषाण रूप में तपस्यारत हुए। युगों पूर्व क्रौंच पर्वत तीर्थ पर 33 कोटि देवी देवताओं के पाषाण रुप में तपस्यारत होने के कारण आज भी क्रौंच पर्वत तीर्थ का हर पाषाण पूजनीय माना जाता है।

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