जोशीमठ : राम भरत मिलन का दृश्य देख भावुक हुए दर्शक

Team PahadRaftar

राम भरत का मिलन दृश्य देख भावुक हुए दर्शक, पहली बार पैनखंडा क्षेत्र की रामलीला में महिला पात्रों की भागीदारी।

संजय कुंवर

ज्योतिर्मठ : ज्योर्तिमठ के रविग्राम में वर्ष 1969 से प्रारम्भ हुई अति प्राचीन रामलीला अपने 55 वे वर्ष में प्रवेश करते हुए नया रूप लेने का अभिनव प्रयास किया जा रहा है, इस वर्ष आयोजित रामलीला महोत्सव 15 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है।

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बताते चलें कि अब तक चार दिनों की रामलीला का मंचन हो चुका है और आज भगवान श्री राम वनवास के लिए निकल चुके हैं। शनिवार रात राम वन गमन, चित्रकूट भरत मिलाप की लीला का मार्मिक मंचन किया गया। इसकी शुरुआत शुक्रवार रात्रि के दृश्य में राजा दशरथ का अपने मंत्रियों के साथ विचार विमर्श कर अपनी अवस्था को देखते हुए राम को राजा बनाकर स्वयं वानप्रस्थ आश्रम में जाने की घोषणा का दृश्य प्रस्तुत किया गया। दशरथ की इस घोषणा को अयोध्यावासियों सहित सभी ने सुना तो मंथरा का मत भ्रमित हो गया। इसके बाद मंथरा ने कैकेयी को भरमा कर कोप भवन में चले जाकर राजा दशरथ से अपने दो वरदान मांगने की सलाह दी। इनमें पहले वरदान में भरत को अयोध्या का राज और दूसरे में राम को 14 वर्षों का वनवास, कैकेयी की यह मांग सुनकर राजा दशरथ मूर्छित हो जाते हैं। साथ की कैकेयी राम और लक्ष्मण को बुलाकर वन जाने का आदेश देती है।

राम-लक्ष्मण और माता सीता वन जाने की जब तैयारी करने लगते हैं। राजमहल में कैकेई द्वारा राजसी वस्त्र उतार कर वनवासी वेश में जब राम लक्ष्मण को तैयार किया जाता है। उस दृश्य को देखकर सभी श्रोताओं के आंखों से आंसू बहने लगे। राम के वन जाने के शोक में राजा दशरथ अपना प्राण त्याग देते हैं। गुरु वशिष्ठ के निर्देशानुसार ननिहाल से भरत और शत्रुघ्न को बुलाया जाता है। भरत और शत्रुघ्न अयोध्या की स्थिति को देखकर माता कैकेयी को खूब खरी खोटी सुनाते हैं और पूरी अयोध्या की जनता और मंत्रीगणों के साथ चित्रकूट की ओर भैया राम को वापस लाने के लिए चल देते हैं। दूसरी ओर राम तमसा नदी पार करने के लिए केवट को जब बुलाते हैं तो राम और केवट के बीच की संवाद जनजन के मन में अमृत घोलता दिखा। अपनी तीनों माताओं, गुरु और अयोध्या वासियों के साथ जब भरत जी चित्रकूट में पहुंचते हैं तो राम और भरत का प्रेम देखकर दर्शकों के नेत्र सजल हो गए। मर्यादा पुरुषोत्तम राम और भरत के बीच में काफी संवाद हुआ।  अंततः राम के प्रतिनिधि के तौर पर खड़ाऊ को प्रतीकात्मक रूप से सिंहासन पर रखकर भरत जी को अयोध्या का राज्य सत्ता संचालन की जिम्मेदारी श्री रामचन्द्र जी द्वारा दी गई ।

बताते चलें कि इस बार रविग्राम ज्योर्तिमठ की रामलीला में कैकई कुमारी मेघा भट्ट, कौशल्या कुमारी प्रिया डिमरी और सुमित्रा कुमारी प्राची पंत सहित अनेकों पात्रों का पात्र अभिनय महिलाओं द्वारा निभाया जा रहा है जो की संपूर्ण पैनखंडा के इतिहास में पहली बार हो रहा है।

सांस्कृतिक परिषद् रविग्राम में अध्यक्ष श्री सत्य प्रकाश डिमरी, उपाध्यक्ष अनिल सकलानी, उपाध्यक्ष महेंद्र नंबूरी सह सचिव अमित डिमरी, कोष अध्यक्ष समीर डिमरी, उप कोष अध्यक्ष प्रताप भुजवान, सोशल मीडिया प्रभारी नवनीत सिलोडी, प्रचार मंत्री दिनेश भुजवान व शिवम सकलानी तथा कमेटी सदस्य प्रवेश डिमरी, अखिलेश भुजवान, अभिषेक बहुगुणा और शुभम रावत ।

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