देहरादून : मिट्टी और बीजों से ही हमारी संस्कृति का संरक्षण सुनिश्चित : डॉ. वंदना शिवा

Team PahadRaftar

मिट्टी और बीजों से ही हमारी संस्कृति का संरक्षण सुनिश्चित: डॉ. वंदना शिवा

देहरादून : धरती और बीज बचेंगे तो ही हमारी बहुमूल्य संस्कृति का सरंक्षण सम्भव है। जमीन और फसलों में अंधाधुंध जहरीले रसायनों के छिड़काव ने भोजन को विषैला बना दिया है। इन रसायनों के चलते हम और हमारी धरती बीमार हो रहे हैं। यह कहना था डॉ वंदना शिवा का।” वह
नवधान्य द्वारा आयोजित वार्षिक उत्सव ‘’भूमि 2024’’ के अवसर पर बोल रही थी। यह उत्सव जैव विविधता संरक्षण केंद्र रामगढ़, देहरादून में संपन्न हुआ. संस्था की डायरेक्टर और विश्व प्रसिद्ध पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. वंदना शिवा ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम प्रारम्भ किया. इस अवसर पर जैविक भोजन विशेषज्ञ सुश्री माया गोबुर्धुन; कवि और लेखक श्री उदयन बाजपेयी; ओडसी नृत्यांगना श्रीमती शर्मीला भरतरी उपस्थित रहे.

इस अवसर पर डॉ शिवा ने कहा, ‘’ मनुष्य धरती का अभिन्न अंग है. भोजन उगाना और भोजन करना एक ऐसी पारिस्थितिक प्रक्रिया है जिसमें प्रत्येक जीव भाग लेता है. यह प्रक्रिया वसुधैव कुटुंबकम को जीवंत बनाये रखती है.’’ उनका कहना था कि पारिस्थितिकी संतुलन पर आधारित जैविक खेती देशी बीजों को बढ़ावा देती है, ऐसी पुनर्योजी खेती धरती और उसके स्वास्थ्य की देखभाल करती है.
डॉ शिवा ने जीवंत मिट्टी और बीजों पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि जीवंत मिट्टी सभी प्राणियों के जीने का आधार है, वहीँ धरती के बीज धरती की पारिस्थितिकी के लिए अमूल्य वरदान हैं. कहा, ‘’हजारों वर्षों से किसानों द्वारा खेती के लिए देशी बीजों का चयन किया जाता रहा है. इन बीजों में खुला परागण होता है और वे बदलती जलवायु के अनुरूप ढलने की खूबी रखते हैं. कि देशी बीज पोषण से भरपूर होते हैं अतः वे सभी तरह की पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं. इस तरह से देशी बीज और पारिस्थितिक जैविक खेती वर्तमान दौर की सबसे बड़ी त्रासदी यानि स्वास्थ्य संकट का हल है. खेती की ये प्रथाएं कुपोषण, भुखमरी और असाध्य बिमारियों से मुक्ति दिलाती हैं.
कार्यक्रम में पहली प्रस्तुति श्रीमती शर्मीला भरतरी ने उड़िया नृत्य के माध्यम से दी. फिर महिला अन्न स्वराज की महिलाओं ने मिट्टी और बीजों के माध्यम से भारत का जीवंत मानचित्र उकेरा. सुश्री माया गोबुर्द्धन ने विगत 14 वर्षों से आयोजित किये जा रहे धरती माँ को समर्पित कार्यक्रम ‘’भूमि’’ पर एक विवेचना प्रस्तुत की. उन्होंने बताया कि विगत समय में यह कार्यक्रम दिल्ली में आयोजित किया जाता रहा है.
श्री विजय वाजपेयी ने बीजों पर एक नाट्य रूपक प्रस्तुत किया. वहीँ राजकीय माध्यमिक विद्यालय, सीसमबाडा के विद्यार्थियों ने भी बीज और मिट्टी पर कविता और नाटक के माध्यम से अपनी प्रस्तुतियां दी. उपस्थित महिला किसानों ने जैविक खेती पर अपने अनुभव सुनाये. इस अवसर पर महाराष्ट्र से सविता, सुवर्णा, जिया प्रभाकर और साधना ने मिट्टी पर गीत प्रस्तुत किया. मध्यप्रदेश की पुष्पा, मूल्या देवी तथा भारती ने ‘’अपनी माटी केसर चन्दन’’ नाम गीत गाया. पश्चिम बंगाल से उपस्थित राखी दास मैती, नमिता मण्डल, सामंता ने बंगाली गीत सुनाया. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग से बुद्दी देवी, आरती देवी, और साधना देवी ने और टिहरी से जया देवी, मीणा देवी, प्रेमा देवी ने क्रमशः ‘’धरती हमरा गढ़वाले की’’ और ‘’बीजा बोंदारी क्या तेरू नॉ च’’, गीतों पर प्रस्तुति दी. इस अवसर पर कुछ विदेशी मेहमान भी उपस्थित थे. इस तरह से कुल 150 प्रतिभागी इस कार्यक्रम में सम्मिलित रहे.

 

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