आपदा से रक्षा करते है देव शिल्पी विश्वकर्मा
रिपोर्ट रघुबीर नेगी
उर्गमघाटी : भारतवर्ष में देव शिल्पी के रूप में यदि किसी देवता की पूजा की जाती है तो वो है भगवान विश्वकर्मा उत्तराखंड में विश्वकर्मा की पूजा का अलग ही विधान है। सभी देवी देवता के स्थान पर देवशिल्पी विश्वकर्मा की पूजा अवश्य की जाती है। पर्वतीय अंचलों में समय समय पर विश्वकर्मा जागर का आयोजन भी किया जाता है। वास्तु शास्त्र के प्रवर्तक एवं देवताओं के वास्तुविद भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर उर्गमघाटी में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
यहां के मेले पूजा-अर्चना में विश्वकर्मा का आवाह्न किया जाता है । ऐसी मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा आपदा से बचाते हैं विश्वकर्मा की पूजा-अर्चना से क्षेत्र में खुशहाली सुख समृद्धि बनी रहती है। तीनों लोकों का निर्माण करने वाले देवशिल्पी का उर्गमघाटी में प्रमुख स्थान है। उर्गमघाटी में बने मंदिरों से प्रमाणित होता है कि पौराणिक समय से विश्वकर्मा की कर्मभूमि रही है यहां दुर्लभ मूर्तियां इस बात की गवाही देती है। भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर उर्गमघाटी में धूमधाम से भजन कीर्तन का आयोजन किया गया भक्तों ने देव शिल्पी से क्षेत्र की सुख समृद्धि खुशहाली की कामना की। वैसे भी उर्गमघाटी अपनी बेजोड़ कला वास्तुशिल्प एवं हस्तशिल्प के लिए विश्व प्रसिद्ध है। समापन समारोह में भगवान विश्वकर्मा की उत्सव यात्रा की गई जिसमें सैकड़ों भक्तों ने भाग लिया।