पैनखंडा क्षेत्र में मां नन्दा को समर्पित नन्दा अष्टमी उत्सव की धूम, ब्रह्म कमल लेकर फुलारी भी सकुशल लौटे नन्दा देवी मन्दिर
संजय कुंवर
जोशीमठ : देवभूमि उत्तराखंड स्थित गढ़ कुमाऊं में शक्ति स्वरूप मां नन्दा को समर्पित नंदा अष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। चमोली जनपद के सीमांत पैन खंडा क्षेत्र में भी हिमालय की अधिष्ठात्री देवी मां नंदा को समर्पित नन्दा अष्टमी मेले की धूम है, पूरा ज्योतिर्मठ क्षेत्र मां नन्दा के भजनों कीर्तन और जागरों से गूंज रहा है। नन्दा देवी मंदिरों में देर रात से अखंड दीपकों की जगमगाहट के बीच ब्रह्म कमलों के मध्य मां नन्दा देवी का अद्भुत श्रंगार का दर्शन करने भक्तों का तांता लगा हुआ है। मां नन्दा के इस नन्दा अष्टमी पर्व के पीछे सीमांत क्षेत्र पैन खंडा के लोगों का अटूट भावपूर्ण श्रद्धा, विश्वास और शक्ति स्वरूपा मां नंदा देवी के प्रति अगाध आस्था और भक्ति है। नंदा अष्टमी का आयोजन हर वर्ष भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन उत्तराखंड के विभिन्न शक्ति स्वरूपा मां नंदा देवी के मंदिरों में किया जाता है।
देर रात पैन खंडा क्षेत्र के दर्जन भर गांवों में देव फुलारी उच्च हिमालई क्षेत्रों से दिव्य देव पुष्प ब्रह्म कमल रिंगाल की कंडियों में सजाकर अपने अपने गांवों के मां नन्दा देवी मंदिरों में सकुशल पहुंच गए हैं, जिसके बाद मां नन्दा के इस प्रिय पुष्प ब्रह्म कमलों को मां नंदा के मंदिर में सुसज्जित कर दिया गया है,और क्षेत्र की महिला मंगल दलों द्वारा मंदिर प्रांगण में बाहर से आने भक्तों के लिए प्रसाद स्वरूप भंडारे के आयोजन के साथ देर रात से लगातार भजन कीर्तन के साथ मां नन्दा के जागरों से रात्रि जागरण किया गया है। आज नन्दा अष्टमी पर्व में विशेष विधि विधान से हवन पूजन के साथ मां नन्दा को स्थानीय उत्पादों और ऋतु फलों का भोग लगाया जाएगा जिसके बाद मां नन्दा देवी को कल्यो समूण और आज श्रंगार के साथ ध्याणी की तरह जागरों के माध्यम से नम आंखों से कैलाश की ओर विदाई दी जाएगी। मां नन्दा सभी ग्राम वासियों को सुख समृद्धि का आशीष देते हुए अपने ससुराल कैलाश को विदा हो जायेगी इसके साथ ही नन्दा अष्टमी पर्व का समापन होगा, वहीं आज सभी भक्तो को उच्च हिमालई से लाए गए देव पुष्प ब्रह्म कमल प्रसाद के रूप में वितरित किए जाएंगे।
दरअसल उत्तराखंड के लोगों ने मां नंदा भवानी को शक्ति के स्वरूप के साथ-साथ अपनी बेटी (ध्याण) के रूप में स्वीकारा है। इस लिए मां नंदा देवी को उत्तराखंड में शक्ति के साथ-साथ बेटी के रूप में भी पूजा जाता है। सदियों से चली आ रही इस पौराणिक देव परंपरा के तहत विशेष रूप से पैन खंडा छेत्र ज्योतिर्मठ के ग्रामीण नंदा अष्टमी से 2 दिन पहले ही आसपास के उच्च हिमालय शिखरों पर दिव्य पुष्प ब्रह्म कमल का दोहन करने विधि विधान से जाते हैं। नंदा अष्टमी लोक उत्सव में जहां मां नंदा देवी को ब्रह्म कमल के रूप में उच्च हिमालई कैलाश से फुलारियों के माध्यम से बुलावा देकर लाया जाता है। वही विशेष पूजा अर्चना करने के बाद मां नंदा को अष्टमी पर्व पर पूजा – अर्चना और स्थानीय उत्पादों के साथ बेटी ध्याणि के रूप में भावपूर्ण विदाई देकर कैलाश के लिए रवाना कर दिया जाता है।