अष्टमी पर्व से पूर्व अलकनंदा और खिरों गंगा में वैकल्पिक पुल हुआ तैयार,खिरों वैली में लौटी रंगत
संजय कुंवर,लामबगड़ खिरों वैली,ज्योतिर्मठ
लामबगड़ घाटी के ग्रामीणों ने शासन – प्रशासन का मुंह ताकने के बजाय स्वयं ही अलकनंदा नदी पर अस्थाई लकड़ी का पुल बनाकर आवाजाही शुरू की गई है।
दरअसल ज्योतिर्मठ क्षेत्र के अलकनंदा घाटी में स्थित लामबगड़/खिरों घाटी के ग्रामीणों ने शासन प्रशासन की मदद के बिना ही कुछ मजदूरों की सहायता से अपने गीष्मकालीन गांव खिरों तक पैदल आवाजाही करने और कल मंगलवार 10 सितंबर को अपने गांव नन्दा अष्टमी पर्व मनाने जाने के लिए महज 48 घंटों के अंतराल में अलकनंदा नदी के ऊपर पत्थर और लकड़ी का वैकल्पिक पुल तैयार कर दिया है। ऐसे में लाम बगड़ क्षेत्र के ग्राम वासियों के चेहरे से गायब हुई रौनक फिर से लौट आई है। लामबगड़ घाटी के सामाजिक कार्यकर्ता और इस वैकल्पिक पुल के बनाने की जिम्मेदारी संभालने वाले तिजेंदर सिंह चौहान ने बताया कि उनके खिरों गांव को जोड़ने के लिए अलकनंदा और खिरों गंगा के संगम किनारे पर पहले की तरह पैदल आवाजाही करने के लिए वैकल्पिक पुल और रास्ता था लेकिन इस मानसून में अलकनंदा नदी के उफान ने पैदल तट सहित सब कुछ तबाह कर दिया। और खिरों घाटी का संपर्क भी टूट गया था। उनके छह मासी गांव खिरों वैली में पशुपालन, बकरी पालन सहित काश्तकारी हेतु अभी करीब सात आठ परिवार और 50-60 मवेशी फंसे हुए थे,उन तक संपर्क करने के साथ साथ कल मंगलवार 10 सितंबर को खिरोंं गांव में जन्माष्टमी के लिए जाना था साथ ही 17 सितंबर को खिरों मां उन्याणी घाटी के भगवती मंदिर में पूर्णमासी का प्रसिद्ध मेला भी होना है ऐसे में यह वैकल्पिक पुल हर हाल में आज तैयार करने का दबाव जरूर हमारे ऊपर था। लेकिन हमने बिना सरकारी मदद/टेक्निकल स्पोर्ट के अपनी खिरों घाटी की आराध्य देवी मां भगवती की कृपा से ग्रामीणों के सामुदायिक सहयोग से और खासकर अपने नेपाली मजदूर भाइयों की मेहनत के संयुक्त प्रयास से हमने जोखिम भरे इस कार्य में अलकनन्दा नदी और खीरों गंगा के ऊपर ये पत्थर,पाईप और लकड़ी की मदद से फिलहाल पैदल आवाजाही के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर दी है। जिसके बाद लाम बगड़ घाटी के ग्रामीणों को अब कल होने वाले अष्टमी पर्व और आने वाले 17 सितंबर को होने वाले पूर्णमासी मेले की तैयारी के लिए हमे आने – जाने में आसानी हो जायेगी। बिना सरकारी संसाधनों की मदद से ग्रामीणों की आपसी सहयोग और सहभागिता के चलते बने इस वैकल्पिक पुल से अलकनंदा घाटी के लाम बगड़ क्षेत्र के ग्रामीणों ने एक नजीर पेश की है।