हिमालई आस्था,परंपराओं और लोक जीवन का उत्सव नन्दा अष्टमी पर्व, दिव्य पुष्प ब्रह्म कमल लेने कैलास रवाना हुए देव फुलारी
संजय कुंवर
जोशीमठ : पहाड़ों में नंदाष्टमी का देव पर्व गढ़वाल हिमालय की परंपराओं और लोक जीवन का प्रमुख उत्सव है।
सीमांत प्रखंड ज्योतिर्मठ पैनखंडा क्षेत्र में प्रत्येक गांव के लोग माँ नंदा के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा भक्ति और प्रकट करते हैं। यह नन्दा अष्टमी का आयोजन प्रत्येक वर्ष धूमधाम से मनाया जाता है। जोशीमठ क्षेत्र के डांडो गांव,मेरग, बड़ागांव, ढाक, तुगासी,से लेकर दर्जनों गांव में मां नन्दा को समर्पित नन्दा अष्टमी पर्व की शुरुआत आज से हो चुकी है, डांडो गांव में मां नन्दा देवी मंदिर परिसर में विशेष पूजा – अर्चना के बाद मां नन्दा चंडिका भवानी के आशीर्वाद लेकर गांव के दो युवा देव प्रतिनिधि सुधांशु कपरवान और जयदीप नेगी देव कंडी के साथ नंगे पांव उच्च हिमालई क्षेत्र पांगर चुला रवाना हो गए हैं। जो कल मंगलवार को पूजा-अर्चना के बाद दिव्य ब्रह्म कमल पुष्पों का दोहन कर रात्रि में नन्दा देवी मंदिर पहुंचेंगे। जिसके बाद मां नन्दा का इन दिव्य देव पुष्पों से श्रंगार किया जायेगा। बुधवार को पूरे पैन खंडा क्षेत्र में मां नन्दा देवी को समर्पित देव पर्व नन्दा अष्टमी धूमधाम से मनाया जाएगा।
नंदा अष्टमी उत्सव उत्तराखंड के विशेष देव पर्वों में से एक है। इस दिन उत्तराखंड में मां नंदा को ब्रह्म कमल के रूप में कैलाश से लाया जाता है। विशेष पूजा अर्चना करने के बाद मां नंदा को भावपूर्ण विदाई देकर कैलाश के लिए रवाना कर दिया जाता है। नंदा अष्टमी मेले के लिए ब्रह्म कमल दोहन के पीछे का कारण ये भी माना जाता है कि मां नंदा को कैलाश से ब्रह्म कमल के रूप में उनके मायके लाया जाता है। गांव से चुने हुए दो देव प्रतिनिधि जिन्हे नन्दा फुलारी कहते है प्रत्येक गांव से दो लोगो को उच्च हिमालई क्षेत्रों में देव पुष्प ब्रह्म कमल लेने भेजा जाता है, उच्च हिमालय शिखरों से ब्रह्म कमल लाने में 2 दिन का समय लगता है। बताया कि जंगल के रास्ते से होकर उच्च हिमालय शिखरों तक पहुंचने में कई वन देवी देवताओं का विधि विधान से पूजन होता है।