हरि सिंह गुनसोला को आज भी नहीं मिल पाया राज्य आंदोलनकारी का दर्जा
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले हरि सिंह गुनसोला को आज भी उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी का दर्जा नहीं मिल पाया है। हरि आंदोलनकारी फोटोग्राफर भी थे।
उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान उनके द्वारा खींची गई फोटो राष्ट्रीय अखबारों के मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित की गई उनके द्वारा खींची गई फोटो से ही राज्य आंदोलनकारियों का चिन्हीकरण किया गया। 2 सितंबर 1994 को भी उनके द्वारा पुलिस की बर्बरता को कमरे में कैद किया गया जो देश के कई नामी गिरामी समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित की गई जिसके बाद पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी को लेकर लगातार दबिश दी, अपनी चार माह की बेटी और पत्नी को छोड़कर वह भूमिगत हो गए। उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद आज तक भी उनका चिन्हीकारण नहीं हो पाया है उनकी धर्मपत्नी श्रीमती बीना गुनसोला आज भी सरकारी कार्यालयों के चक्कर काट कर थक चुकी हैं। हरि सिंह गुनसोला अपनी मृत्यु से पहले कई बार राज्य आंदोलनकारी होने के सारे दस्तावेज जमा कर चुके थे, लेकिन अभी तक उनका चिन्हीकरण नहीं हो पाया। हरि सिंह गुनसोला की पत्नी बीना गुनसोला बताती है कि राज्य निर्माण आंदोलन के दौरान हरि सिंह गुनसोला द्वारा खींची गई फोटो अखबारों में प्रकाशित हुई तो पुलिस ने उनकी गिरफ्तारी को लेकर कई बार दबिश दी और जिन लोगों का भी चिन्हीकरण हुआ है उनके द्वारा खींची गई फोटो को आधार मानकर ही किया गया है लेकिन आज भी उनको राज्य आंदोलनकारी का दर्जा नहीं मिल पाया है।
राज्य निर्माण आंदोलनकारी विजेंद्र पुंडीर बताते हैं कि हरि सिंह गुनसोला का योगदान भुलाया नहीं जा सकता है पुलिस बर्बरता के बीच अपनी जान जोखिम में डालकर उनके द्वारा सैकड़ों फोटो अपने कमरे में कैद की उन्होंने कहा कि यह प्रदेश का दुर्भाग्य है कि हरि सिंह गुनसोला को आज भी राज्य आंदोलनकारी का दर्जा नहीं मिल पाया है।