ऊखीमठ : केदार घाटी में मौसम के अचानक करवट लेने से तापमान में गिरावट तो आई है मगर हिमालयी क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी होने तथा निचले क्षेत्रों में बारिश होने से काश्तकारों के चेहरे खिल उठे हैं, यदि आने वाले दिनों में मौसम के मिजाज इसी प्रकार रहे तो हिमालयी क्षेत्रों में जमकर बर्फबारी होने की सम्भावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है! शनिवार सुबह को केदार घाटी में मौसम ने अचानक बदलने से केदार घाटी के केदारनाथ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ, पाण्डव सेरा, नन्दी कुण्ड, विसुणी ताल सहित हिमालयी क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश होने से तापमान में गिरावट तो आई है मगर मेघों के बरसने से काश्तकारों के चेहरे खिल उठने के साथ ही मौसम सुहावना हो गया है।
बता दें कि इस बार केदार घाटी के हिमालयी क्षेत्रों में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश न होने से काश्तकारों की फसलों को खासा नुकसान हो गया था तथा मई माह में तैयार होने वाली सरसों की फसल फरवरी माह में तैयार होने के साथ फ्यूली व बुंरास के फूल भी निर्धारित समय से डेढ़ माह अपने यौवन पर आने के साथ ही फरवरी माह में ही तपन महसूस होने से पर्यावरणविद खासे चिन्तित थे। केदार घाटी में शनिवार को अचानक मौसम के मिजाज बदलने से काश्तकारों के चेहरे की रौनक लौट आई है। काश्तकारों का कहना है कि केदार घाटी के हिमालयी क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश होने से गेंहू, जौ की फसलों सहित प्रकृति में नई ऊर्जा का संचार होगा। काश्तकार सुभाष रावत, अमर सिंह धिरवाण का कहना है कि शनिवार को केदार घाटी के निचले इलाकों में मौसम के अनुकूल बारिश तो नहीं हुई मगर हल्की बारिश होने से भी प्रकृति व काश्तकारों को राहत मिली है! काश्तकार प्रेम सिंह ने बताया कि केदार घाटी में बादल छाने से अभी बारिश की सम्भावना बनी हुई है।