लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : द्वितीय केदार मद्महेश्वर यात्रा के आधार शिविर बनातोली में मोरखंडा नदी पर बने अस्थायी पुल के नीचे बने सुरक्षा दीवालों में दरारें पड़ने से पुल खतरे की जद में आ गया है। आने वाले दिनों में यदि मोरखंडा नदी के जल स्तर में और अधिक वृद्धि होती है तो अस्थायी पुल मोरखंडा नदी की तेज धाराओं में समा सकता है जिससे मदमहेश्वर धाम की यात्रा प्रभावित होने से गौण्डार गाँव के ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ने के साथ मदमहेश्वर घाटी का तीर्थाटन – पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हो सकता है।
बता दें कि विगत वर्ष 14 अगस्त को ब्रह्म बेला पर मोरखंडा नदी का वेग उफान में आने के कारण मोरखंडा नदी पर 70 के दशक में बना लोहे का पुल मोरखंडा नदी की तेज धाराओं में समा गया था। तब लोक निर्माण विभाग द्वारा मोरखंडा नदी पर लकड़ी का अस्थायी पुल बना कर मदमहेश्वर धाम की आवाजाही शुरू कर दी गयी थी। इन दिनों मदमहेश्वर घाटी के हिमालयी क्षेत्रों में लगातार मूसलाधार बारिश होने से मोरखंडा नदी का वेग उफान में आने के कारण अस्थायी पुल के नीचे बनी सुरक्षा दीवालों में दरारें पड़ने से पुल खतरे की जद में आ गया है। जानकारी देते हुए प्रधान गौण्डार बीर सिंह पंवार ने बताया कि हिमालयी क्षेत्रों में मूसलाधार निरन्तर जारी है तथा मूसलाधार बारिश के कारण मोरखंडा नदी के जल स्तर में प्रति दिन इजाफा होने से अस्थायी पुल के नीचे भूकटाव होने से सुरक्षा दीवालों में दरारें पड़ने शुरू हो गयी है तथा मोरखंडा नदी का जल स्तर और बढ़ने से मोरखंडा नदी पर बना पुल नदी में समा सकता है। उन्होंने बताया कि ग्रामीणों द्वारा विगत एक वर्ष से शासन – प्रशासन से उक्त स्थान पर ट्रॉली लगाने की मांग की जा रही है मगर शासन – प्रशासन स्तर से ट्राली लगाने के बजाय कोरे आश्वासन मिल रहें! पूर्व प्रधान भगत सिंह पंवार का कहना है कि यदि अस्थायी पुल मोरखंडा नदी की तेज धाराओं में समाता है तो मदमहेश्वर धाम की यात्रा प्रभावित होने के साथ गौण्डार गाँव के ग्रामीणों सहित मदमहेश्वर यात्रा पड़ावों पर व्यवसाय कर रहे व्यापारियों की मुश्किलें बढ़ सकती है। वहीं दूसरी ओर लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियन्ता मनोज कुमार भट्ट ने बताया कि पुल का आकणन स्वीकृति के लिए शासन को भेजा गया है स्वीकृति मिलने पर स्थायी पुल का निर्माण किया जायेगा।