अनूप तुम कहाँ चले गये!
दूसरों की जान बचाने के लिये अपनी जान की परवाह नही की ।
संजय कुँवर तपोवन
बैराज गेट के ऊपर ड्यूटी दे रहे अनूप थपलियाल ने 7 फरवरी की विनाशकारी प्रलय को अपनी आंखों से देखा अनूप थपलियाल ऊंचाई पर ड्यूटी कर रहा था तो उसने अपनी परवाह न करते हुए लोगों को चिल्ला – चिल्ला कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा। अनूप लोगों के प्रति इतना संवेदनशील था कि अपनी जान की परवाह तक न की और अंत में जब गेट के ऊपर भी जबरदस्त सैलाब आया और अनूप इस सैलाब में गायब हो गया और अभी तक कोई पता नही चल पाया।
अनूप के साथ ही ड्यूटी कर रहे अमर ने बताया कि अनूप लोगों को भागने के लिये आगाह कर रहा था। अनूप चार बहिनों का इकलौता भाई है व घर में उसकी बूढ़ी माँ 11 साल का बच्चा हर्षित व 7 माह की गर्ववती पत्नी सपना आज भी अनूप के आने का इंतजार कर रहे हैं।