ऊखीमठ : तुंगनाथ धाम में पहली बार रिकॉर्ड तोड़ 68 हजार श्रद्धालुओं ने किए बाबा के दर्शन

Team PahadRaftar

लक्ष्मण नेगी

ऊखीमठ : तृतीय केदार तुंगनाथ धाम में पहली बार तीर्थ यात्रियों के आकड़े ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। तुंगनाथ धाम में मात्र 56 दिनों में 67 हजार, 851 तीर्थ यात्रियों ने पूजा – अर्चना व जलाभिषेक कर विश्व समृद्धि की कामना की है। इस वर्ष तुंगनाथ धाम में भारी संख्या में तीर्थ यात्रियों, पर्यटकों व सैलानियों की आवाजाही होने से तुंगनाथ घाटी के तीर्थाटन पर्यटन व्यवसाय में भारी इजाफा होने के साथ मन्दिर समिति की आय में भी वृद्धि हुई है। तुंगनाथ घाटी में मानसून लौटने के बाद तुंगनाथ धाम पहुंचने वाले तीर्थ यात्रियों की संख्या में हल्की गिरावट देखने को मिली है मगर आगामी 16 जुलाई से शुरू होने वाले शिव जी के पवित्र सावन मास में भी शिव भक्तों की संख्या में भारी इजाफा हो सकता है।

बता दें कि इस वर्ष विगत 10 मई को तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये गये थे तथा मात्र 56 दिनों में तुंगनाथ धाम में 39 हजार 296 पुरूषों, 21 हजार 073 महिलाओं, 7 हजार 018 नौनिहालों व 449 साधु – संन्यासियों व 15 विदेशी सैलानियों ने तुंगनाथ धाम पहुंच कर पुण्य अर्जित किया! मन्दिर समिति के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि तुंगनाथ धाम में पहली बार मात्र 56 दिनों में तीर्थ यात्रियों का आंकड़ा 6 7 हजार के पार पहुंचा है तथा कपाट बन्द होने तक यह आंकडा 1 लाख 20 हजार के पार पहुंच सकता है। तुंगनाथ धाम प्रबन्धक बलवीर सिंह नेगी ने बताया कि इस वर्ष भगवान तुंगनाथ के कपाट खुलने के बाद से ही तीर्थ यात्रियों की आवाजाही भारी संख्या में शुरू हो गयी थी तथा अभी तक निरन्तर जारी है। उन्होंने बताया कि जुलाई माह शुरू होने के बाद तुंगनाथ धाम में आने वाले तीर्थ यात्रियों पर्यटकों व सैलानियों की आवाजाही में हल्की गिरावट तो देखने को मिल रही है मगर सावन मास में तीर्थ यात्रियों की आवाजाही में भारी वृद्धि हो सकती है! उन्होंने बताया कि चोपता से सीधे चन्द्र शिला जाने वाले पर्यटकों व सैलानियों को मन्दिर समिति के रिकार्ड में दर्ज नही किया गया है मन्दिर समिति के रिकॉर्ड में उन्हें तीर्थ यात्रियों को दर्ज किया गया है जिन्होंने मन्दिर में पहुंचकर पूजा – अर्चना व जलाभिषेक किया है। अगस्तमुनि निवासी अनिल जिरवाण ने बताया कि इन दिनों भुजगली से चन्द्र शिला का भूभाग हरियाली से आच्छादित होने के कारण भुजगली से चन्द्र शिला का भू-भाग के प्राकृतिक सौंदर्य पर चार चांद लगने शुरू हो गयें हैं। तुंगनाथ धाम व तुंगनाथ घाटी के शीर्ष पर विराजमान चन्द्र शिला की खूबसूरती से रुबरु होने के बाद ऊखीमठ लौटी बैंगलोर निवासी स्मृति ने बताया कि चन्द्र शिला के शिखर से प्रकृति जिस नयनाभिराम से सैलानी रूबरू होता है वह हमेशा मानस पटल पर अंकित रहेगा।

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