दिनेश जोशी
उत्तराखंड की प्रसिद्ध साहित्यकार, कवयित्री किरन पुरोहित ” हिमपुत्री” चमोली जिले के ग्राम बरसाली कर्णप्रयाग की रहने वाली है। उनके पिता दीपेंद्र पुरोहित व माता दीपा पुरोहित है। किरन का बचपन से ही साहित्य और आध्यात्म से लगाव बना रहा। जिसका परिणाम है कि आज वह श्रीमद्भागवत कथा वाचन भी कर रही है। उन्होंने 17 वर्ष की आयु में आशा की पहली किरन पुस्तक की रचना की। दूरदर्शन उत्तराखंड समेत प्रगति मैदान नई दिल्ली तक अनेक महत्वपूर्ण मंचों पर काव्य पाठ किया गया।
किरन ने प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु /विद्या मंदिर कर्णप्रयाग से ग्रहण की । तत्पश्चात हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर से हिन्दी साहित्य और संस्कृत में अपना स्नातक पूर्ण किया,किरन वर्तमान में अध्ययनरत हैं ।
श्रीधाम वृंदावन में आचार्य श्रीहित वनमाली दास जी महाराज से श्रीमद्भागवत महापुराण और अन्य शास्त्रों की शिक्षा ली।
कर्णप्रयाग की पवित्र कर्ण शिला कर्ण मन्दिर पर पहली बार श्रीमद्भागवत महापुराण कथा का व्याख्यान करेंगी।
किरन को हिंदी साहित्य रत्न सम्मान जैसे कई सम्मानों से सम्मानित किया जा चुका है। किरन की रूचि बाल्यकाल से अध्यात्म और साहित्य में रही है । किरन कहती हैं कि उनके जीवन का लक्ष्य सदैव अध्यात्म और साहित्य के माध्यम से जन सामान्य और भगवान जनार्दन की सेवा करते रहना है।