8वीं बटालियन आईटीबीपी के हिमवीरों ने धूमधाम से मनाया 10वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
केएस असवाल
गौचर : विरेन्द्र सिंह रावत, सेनानी, 8वीं वाहिनी, आईटीबीपी के कुशल नेतृत्व एवं निर्देशन में कैम्प परिसर में 150 हिमवीरों, राष्ट्रसेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीदों के आश्रित परिवार प्रतिनिधि एवं हिमवीर सदस्याओं की उपस्थिति के मध्य 10वें अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस पर “स्वयं और समाज के लिए योग” थीम पर सामूहिक योगाभ्यास किया गया । योगा सत्र के प्रारंम्भ से पूर्व योगा अनुदेशक के द्वारा योग का संक्षिप्त परिचय एवं इतिहास के बारे में बताया गया। योग प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देन है। गृह मंत्रालय भारत सरकार के तत्वाधान में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा जारी गाईडलाईन के मद्देनजर 8वीं बटालियन के द्वारा “स्वयं और समाज के लिए योग” थीम पर वाहिनी के अधिकार क्षेत्र में अवस्थित प्रमुख विरासत स्थल, प्रतिष्ठित स्थान एवं पर्यटन स्थल की दृष्टि से प्रमुख स्थलो एवं सामरिक दृष्टि से भारत के प्रथम गाँव नीति, व अन्य सामरिक गाँव घमसाली, मलारी एवं बम्पा में स्थानीय जनता, श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों के मध्य हिमवीर जवानों के द्वारा सामुदायिक योग सत्र का आयोजन किया गया। उक्त अवसर पर दुर्गम, अति दुर्गम तथा विषम जलवायु में निवासरत गाँवों के नागरिकों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहने हेतु आई०टी० बी०पी० के हिमवीरों के द्वारा योग को जीवन में अपनाने हेतु प्रोत्साहित किया गया।
सेनानी, 8वीं बटालियन के द्वारा उपस्थित हिमवीरों, हिमवीर महिला सदस्याओं को संबोधित करते हुए बताया कि योग प्राचीन भारतीय परम्परा एवं संस्कृति की अमूल्य देने है।
आधुनिक समय में मानव जीवन के लिए योग की महत्वता एवं लोकप्रियता का प्रमाण इस बात से जाहिर होता है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र के माध्यम से यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर 193 सदस्य देशों में से 177 रिकॉर्ड सह-समर्थक देशों ने 21 जून को ‘अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस सन् 2015 में मनाया गया था। योग वास्तव में योग लिंग, जाति, पंथ, धर्म और राष्ट्र के बंधन की सीमाओं से परे है। मुझे अति प्रसन्नता है कि आज सैन्य परिवेश के साथ 2 हमे योग के माध्यम से शरीर एवं मन के बीच पारस्परिक सामंजस्य स्थापित करते हुए स्वस्थ्य शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य से परिपूर्ण समृद्ध भावी पीढ़ी को तैयार करना है।
आज सैन्य जीवन में एक सैनिक को भिन्न-भिन्न भौगोलिक एवं जलवायु परिवेश का सामना करना पड़ता है। विषम जलवायु एवं दुर्गम अतिदुर्गम भौगोलिक परिस्थिति में अपनी ड्यूटी के निर्वाहन हेतु, ऐसे विषम परिवेश में सामंजस्य तथा अनुकूलन हेतु योग हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है। मैं आशा करता हूं कि आप योग की महत्वता को समझ चुके होंगे तथा आप इसे अपने दैनिक जीवन-चर्चा में शामिल करके, अपने स्वस्थ शारीरिक एवं मानसिक स्तर को उच्च रखेंगे। इसके अतिरिक्त योग की उपयोगिता को प्रसारित करने हेतु आप लोगों से आग्रह करूँगा कि योग के बारे में अपने परिवार एवं समाज को भी जागरूक करने में अपना अमूल्य योगदान प्रदान करेंगे।