लक्ष्मण सिंह नेगी
ऊखीमठ : केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग द्वारा चोपता – तुंगनाथ चार किमी0 पैदल मार्ग के दोनों तरफ फैले सुरम्य मखमली बुग्यालों में मानवीय आवागमन प्रतिबन्धित करने के बाद भी बुग्यालों में मानवीय आवागमन होने से बुग्यालों की सुन्दरता धीरे – धीरे गायब होने लगी है। विभाग द्वारा चोपता – तुंगनाथ – चन्द्र शिला भू-भाग का जिम्मा मात्र तीन वन कर्मियों को सौंपने से बुग्यालों में मानवीय आवागमन निरन्तर जारी है जबकि विभाग द्वारा पैदल मार्ग पर जगह – जगह साईन बोर्डों के माध्यम से सुरम्य मखमली बुग्यालों पर आवागमन न करने की सख्त चेतावनी दी गयी है फिर सुरम्य मखमली बुग्यालों में आवागमन लगातार जारी है। आने वाले समय में यदि भुजगली – तुंगनाथ – चन्द्र शिला पैदल मार्ग के दोनों तरफ फैले सुरम्य मखमली बुग्यालों में मानवीय आवागमन पर रोक नहीं लगाई गयी तो बुग्यालों की सुन्दरता धीरे – धीरे गायब होने के साथ बरसात के समय बुग्यालों में उगने वाले अनेक प्रजाति के पुष्पों व बेस कीमती जडी़ – बूटियों पर भी संकट के बादल मंडरा सकते हैं।
बता दें कि चोपता – तुंगनाथ – चन्द्र शिला के आंचल में फैले भूभाग को प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है। तुंगनाथ घाटी के पग – पग सुरम्य मखमली बुग्यालों की भरमार होने के कारण तुंगनाथ घाटी की विशिष्ट पहचान है तथा विश्व में तुंगनाथ घाटी या चोपता को मिनी स्वीटजरलैंड के नाम से जाना जाता है। तुंगनाथ घाटी के पग – पग फैले प्राकृतिक सौन्दर्य से रूबरू होने के लिए प्रतिवर्ष यहां लाखों तीर्थ यात्री, पर्यटक व सैलानी पहुंचते है तथा इन बुग्यालों की सुन्दरता से रूबरू होकर तुंगनाथ घाटी घूमने का सुन्दर सपना लेकर चले जाते हैं। तुंगनाथ घाटी में वर्ष भर पर्यटकों व सैलानियों की आवाजाही होने से स्थानीय तीर्थाटन, पर्यटन व्यवसाय में भी खासा इजाफा होने से स्थानीय युवाओं के सम्मुख स्वरोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं । भगवान तुंगनाथ का भक्त व प्रकृति आ रसिक जब चोपता से तुंगनाथ धाम की ओर पर्दापण करता है तो भुजगली पहुंचने के बाद जब वह पैदल मार्ग के दोनों तरफ फैले सुरम्य मखमली बुग्यालों की सुन्दरता से रूबरू होता है तो जीवन के दुख: दर्दों को भूलकर प्रकृति का हिस्सा बन जाता है। भुजगली – चोपता – चन्द्र शिला पैदल मार्ग के दोनों तरफ फैले सुरम्य मखमली बुग्यालों को प्रकृति ने नव नवेली दुल्हन की तरह सजाया व संवारा तो है मगर सुरम्य मखमली बुग्यालों में मानवीय आवागमन होने से बुग्यालों की सुन्दरता धीरे – धीरे गायब होने लगी है तथा बुग्यालों के संरक्षण व संवर्धन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग द्वारा पैदल मार्ग पर जगह – जगह बुग्यालों में आवागमन न करने की चेतावनी देने के बाद भी सुरम्य मखमली बुग्यालों में मानवीय आवागमन निरन्तर जारी है। आने वाले समय में यदि बुग्यालों में मानवीय आवागमन पर रोक नहीं लगी तो सुरम्य मखमली बुग्यालों की सुन्दरता गायब होने के साथ तुंगनाथ घाटी की विशिष्ट पहचान भी धीरे – धीरे सपनों में याद रह जायेगी। जिला पंचायत सदस्य परकण्डी रीना बिष्ट का कहना है कि बुग्यालों की सुन्दरता के कारण तुंगनाथ घाटी की विशिष्ट पहचान है इसलिए बुग्यालों के संरक्षण व संवर्धन के लिए सामूहिक पहल होनी चाहिए। कांग्रेस व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश महामंत्री आनन्द सिंह रावत का कहना है कि एक तरफ डबल इंजन की सरकार तीर्थाटन, पर्यटन को बढ़ावा देने के कोरे दावे कर रही है दूसरी तरफ बुग्यालों में मानवीय आवागमन होने से बुग्यालों की सुन्दरता गायब होना स्वाभाविक ही है। उनका कहना है कि यदि प्रदेश सरकार तुंगनाथ धाम के आंचल में फैले बुग्यालों के संरक्षण व संवर्धन के लिए गम्भीर है तो चोपता में तैनात वन कर्मियों की संख्या में वृद्धि होनी चाहिए! प्रधान पाली सरूणा प्रेमलता पन्त का कहना है कि केदार घाटी के ऊंचाई वाले इलाकों में बुग्यालों की भरमार है तथा बुग्यालों में मानवीय आवागमन होने से जलवायु परिवर्तन की समस्या निरन्तर बढ़ती जा रही है इसलिए बुग्यालों में होने वाले आवागमन पर पूर्णतया रोक लगने चाहिए।
विगत तीन वर्षों से रेंज अधिकारी का पद बना है रिक्त
केदारनाथ वन्यजीव प्रभाग रेंज ऊखीमठ / गुप्तकाशी में वर्ष 2022 से रेंज अधिकारी का पद रिक्त चल रहा है तथा विभाग द्वारा चोपता से चन्द्र शिला तक वन भू-भाग का जिम्मा मात्र तीन वन कर्मियों के हवाले छोड़ा गया है फिर भी वन विभाग द्वारा बुग्यालों में आवागमन करने वाले 248 लोगों का चालान काटा है। विभाग के अनुसार तीन वन कर्मियों के हवाले बुग्यालों से लेकर वन क्षेत्र की देखभाल करना तथा पैदल मार्ग पर फैले कूड़े को एकत्रित करना है। तीन वन कर्मियों को अधिक जिम्मेदारी मिलने से बुग्यालों में आवागमन करने वालो पर कड़ी निगरानी रखना चुनौती पूर्ण बना हुआ है।
वर्षा ऋतु में फूलों से रहता गुलजार
बरसात के समय इन बुग्यालों में कुखणी – माखुणी, जया + विजया सहित अनेक प्रजाति के पुष्प अपने यौवन पर रहती है तथा अनेक प्रजाति के पुष्पों के खिलने से बुग्यालों की सुन्दरता पर चार चांद लग जाते हैं। बरसात के समय ही इन बुग्यालों में अनेक प्रजाति की बेस कीमती जडी़ – बूटियां उगती है मगर सुरम्य मखमली बुग्यालों में मानवीय आवागमन होने से धीरे – धीरे अनेक प्रजाति के पुष्पों व बेस कीमती जडी़ – बूटियों के जीवन पर भी संकट के बादल मंडराने लगे है। यदि बुग्यालों में मानवीय आवागमन व प्रकृति के साथ मानव द्वारा समय – समय पर की जा रही छेड़छाड़ पर रोक नहीं लगी तो ग्लोबल वार्मिंग तथा जलवायु परिवर्तन की समस्या गम्भीर हो सकती है जिसका सीधा असर मानव जीवन पर पड़ सकता है।