लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : बदरी केदार मन्दिर समिति अध्यक्ष अजेन्द्र अजय व समिति के सभी पदाधिकारियों ,सदस्यों व अधिकारियों के अथक प्रयासों से भगवान केदारनाथ का शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर व द्वापर युग में ऊषा अनिरुद्ध की शादी का विवाह मण्डप धीरे – धीरे वैदिक विवाह स्थल के रूप में विकसित होने लगा है। ओंकारेश्वर मन्दिर व ऊषा – अनिरुद्ध की शादी के विवाह मण्डप को वैदिक विवाह स्थल के रूप में विकसित करने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों, व्यापारियों व जनता द्वारा भी समय – समय पर प्रयास किये जा रहे थे। बुधवार को दिल्ली के नव दम्पति ने ओंकारेश्वर मन्दिर परिसर में विराजमान ऊषा अनिरुद्ध के विवाह मण्डप में सात फेरे लेकर नव दाम्पत्य सूत्र में बधे।
बता दें कि द्वापर युग में भगवान कृष्ण के पौत्र व प्रधुम्न के पुत्र अनिरुद्ध व वाणासुर की पुत्री ऊषा का विवाह मण्डप युगों से दोनों की शादी का साक्ष्य रहा है। वेद पुराणों में वर्णित है कि वाणासुर की पुत्री ऊषा ओंकारेश्वर मन्दिर में शिक्षा ग्रहण करती थी तथा एक दिन अनिरुद्ध ऊषा के सपने में आया तथा ऊषा ने सपने की बात अपनी सहेली चित्रलेखा से कही। सपने के आधार पर चित्रलेखा ने द्वापर युग के कई राजकुमारों की फोटो का चित्रांकन किया तो अनिरुद्ध का फोटो देखकर कर ऊषा ने चित्रलेखा से कहा कि यही मेरे सपनों का दुलारा है। समय पर अनिरुद्ध को पलंग सहित द्वारिका से ऊखीमठ पहुंचाया गया। कुछ समय बाद भगवान श्रीकृष्ण भी अपने पौत्र अनिरुद्ध की ढूंढ – खोज में ऊखीमठ पहुंचे तथा वाणासुर से सन्धि के बाद ओंकारेश्वर मन्दिर परिसर में ऊषा अनिरुद्ध का विवाह सम्पन्न हुआ। ऊषा अनिरुद्ध का विवाह मण्डप आज भी दोनों की शादी का साक्षी बना हुआ है। विगत दिनों मन्दिर समिति द्वारा ओंकारेश्वर मन्दिर को वैदिक विवाह स्थल के रूप में विकसित करने की पहल की गयी तथा गुरुवार को रोहणी दिल्ली निवासी लखन व बुराड़ी दिल्ली निवासी संगीता ने ओंकारेश्वर मन्दिर पहुंचकर पूजा – अर्चना कर ऊषा अनिरुद्ध के विवाह मण्डप में सात फेरे लेकर नव दामपत्य सूत्र में बंधकर अनूठी मिसाल पेश की। ओंकारेश्वर मन्दिर व ऊषा अनिरुद्ध के विवाह मण्डप को वैदिक विवाह स्थल के रूप में विकसित करने के लिए पंच केदार होटल / होम स्टे ऐसोसिएशन के अध्यक्ष कैलाश पुष्वाण के नेतृत्व में विगत 7 जनवरी को ओंकारेश्वर मन्दिर परिसर में एक कार्यशाला आयोजित की गयी थी। द्वारिका दिल्ली निवासी अवधेश कुमार ने बताया कि पूर्व में हम भगवान ओंकारेश्वर के दर्शन करने आये थे तथा विद्वान आचार्यों द्वारा हमें भगवान ओंकारेश्वर मन्दिर सहित ऊषा अनिरुद्ध के विवाह मण्डप की विस्तृत जानकारी दी थी तथा हमें ऊखीमठ क्षेत्र सहित भगवान केदारनाथ का शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर अति प्रिय लगा इसलिए परिजनों व रिश्तेदारों द्वारा लखन व संगीता की शादी ओंकारेश्वर मन्दिर में करने में सहमति बनी तथा आज ओंकारेश्वर भगवान की असीम कृपा से दोनों की शादी बडे़ धूमधाम से सम्पन्न हुई। मन्दिर समिति के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि बारात ऊखीमठ के एक निजी होटल से ओंकारेश्वर मन्दिर पहुंची तथा विवाह बडे़ धूमधाम से सम्पन्न हो गया है तथा बारात में चार दर्जन से अधिक परिजन व रिश्तेदार शामिल रहे।