पिंडर घाटी की नंदा सती ने संगीत विषय में की नेट परीक्षा उत्तीर्ण, मांगल गर्ल के नाम से है प्रसिद्ध
संगीत विषय में है गोल्ड मेडल प्राप्त
सीमांत जनपद चमोली की पिंडर घाटी के नारायणबगड ब्लाॅक के नारायणबगड गांव की बेटी मांगल गर्ल नंदा सती ने संगीत विषय में की नेट परीक्षा उत्तीर्ण की है। नंदा को महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के द्वारा मास्टर ऑफ आर्ट (संगीत विषय) में गोल्ड मेडल प्रदान किया जा चुका है।
कौन है नंदा सती
सीमांत जनपद चमोली के पिंडर घाटी के नारायणबगड ब्लाॅक के नारायणबगड गांव की रहने वाली है नंदा सती। नंदा के पिताजी ब्रह्मानंद सती पंडिताई का कार्य करते हैं जबकि मां गृहणी है। तीन बहिनों में नंदा सबसे छोटी हैं जबकि उनका एक छोटा भाई भी है। प्राथमिक शिक्षा से लेकर 12 वीं की शिक्षा नंदा नें नारायणबगड से प्राप्त की। हेमवंती नंदन केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर से स्नातक और संगीत विषय में स्नाकोत्तर की डिग्री हासिल की है। 22 साल की छोटी सी उम्र में नंदा सती द्वारा गाये जानें वाले मांगल गीतों और लोकगीतों को सुनकर हर कोई अचंभित हो जाता है। मांगल गीतों की शानदार प्रस्तुति पर उनकी लोक को चरितार्थ करती जादुई आवाज और हारमोनियम पर थिरकती अंगुलियां लोगों को झूमने पर मजबूर कर देती है। लोग के मध्य नंदा सती, मांगल गर्ल के नाम से प्रसिद्ध है। यही नहीं हारमोनियम पर उनकी पकड़ वाकई अदभुत है। जिस उम्र में आज की युवा पीढ़ी मोबाइल, मेट्रो और गैजेट की दुनिया में खोई रहती है उस उम्र में नंदा का अपनी लोक संस्कृति से इतना लगाव उन्हें अलग पंक्ति में खडा करता है। नंदा नें मांगल गीतों के संरक्षण और संवर्धन के जरिये एक नयी लकीर खींची हैं। भले ही नंदा सती के घर के ठीक सामने बहनें वाली पिंडर नदी में हर दिन लाखों क्यूसिक मीटर पानी बिना शोर शराबे के यों ही बह जाता हो परंतु नंदा के मांगल गीतो की गूंज देश दुनिया तक सुनाई दे रहे हैं। नंदा पहाड के लोक में रचे बसे मांगल गीतों और लोकगीतों के संरक्षण और संवर्धन में बडी शिद्दत से जुटी हुई है।