लक्ष्मण नेगी
ऊखीमठ : केदारघाटी में विगत कई दिनों से अघोषित विद्युत कटौती होने से उपभोक्ताओं में आक्रोश बना हुआ है। सुबह से शाम तक कई बार विद्युत कटौती होने से भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मन्दिर में होने वाले वेदपाठ के साथ ही सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों का कामकाज खासा प्रभावित होने के साथ विद्युत व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों का व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित होने लगा है। सीमांत गांवों के ग्रामीण अपने निजी कार्यों के लिए मीलों दूरी तय करने के बाद तहसील व विकासखण्ड मुख्यालय पहुंचते है मगर विद्युत कटौती होने के कारण उन्हें वैरंग लौटना पड़ता है। उपभोक्ताओं का कहना है कि यदि समय रहते विद्युत आपूर्ति सुचारू नहीं हुई तो उपभोक्ताओं को ऊर्जा निगम के खिलाफ सड़कों पर उतरने के साथ ही उप खण्ड कार्यालय पर तालाबंदी के लिए विवश होना पड़ेगा जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन – प्रशासन व ऊर्जा निगम की होगी।
बता दें कि केदार घाटी के विभिन्न स्थानों पर विगत कई दिनों से विद्युत कटौती निरन्तर जारी है। घाटी के किस क्षेत्र में बिजली गुल हो जाय ऊर्जा निगम द्वारा कोई समय निर्धारित नहीं किया गया है। लगातार विद्युत कटौती होने से सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों का कामकाज तथा विद्युत व्यवसाय से जुड़े व्यापारियों का व्यवसाय खासा प्रभावित हो रहा है। सीमांत गांवों के ग्रामीण मीलों दूरी का सफर तय करने के बाद निजी कार्यों के लिए तहसील मुख्यालय पहुंचते है मगर दिन भर विद्युत कटौती होने के कारण उन्हें वैरंग लौटना पड़ता है। कांग्रेस व्यापार प्रकोष्ठ के प्रदेश महामंत्री आनन्द सिंह रावत का कहना है कि केदार घाटी में तीन जल विधुत परियोजनाओं से विधुत उत्पादन होने के बाद भी क्षेत्र में अघोषित विधुत कटौती होना समय से परे है। उन्होंने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार पहाड़ का पानी व पहाड़ की जवानी को वरीयता देने के दावे तो करती है मगर पहाड़ के पानी को जल विधुत परियोजनाओं में कैद करने बाद भी अघोषित विधुत कटौती करना स्थानीय उपभोक्ताओं के साथ सरासर धोका है। उन्होंने कहा कि यदि विधुत सप्लाई निरन्तर जारी नहीं हुई तो स्थानीय उपभोक्ताओं को आन्दोलन के साथ ऊर्जा निगम के कार्यालयों में तालाबंदी के लिए बाध्य होना पड़ेगा। गुरिल्ला संगठन जिलाध्यक्ष बसन्ती रावत का कहना है कि ऊर्जा निगम को विद्युत कटौती का समय निर्धारित कर उपभोक्ताओं को पूर्व में अवगत करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऊर्जा निगम द्वारा लगातार विधुत कटौती करने से सरकारी व गैर सरकारी कार्यालयों का कामकाज खासा प्रभावित हो रहा है तथा उपभोक्ता खासे परेशान है। उन्होंने कहा कि यदि विधुत कटौती बन्द नही हुई तो उपभोक्ताओं को सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य होना पड़ेगा, जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन – प्रशासन व ऊर्जा निगम की होगी।