आपदा प्रभावित घर छोड़ने को लाचार
संजय कुंवर
जोशीमठ : भूस्खलन व आपदा ने पगनों गांव में ऐसा कहर बरपाया कि लोगों को अपने ही घरों से बेघर बना दिया है। लोग अपनी जिंदगी भर की कमाई व पुरखों की विरासत को अपने आंखों के सामने जमींदोज़ होते देख बिलख रहे हैं। लेकिन प्रकृति के सामने लोग चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं और लाचार व उदासीन हैं।प्रशासन ने भी खतरे को देखते हुए ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर ठहरने को कहा है।
जोशीमठ विकासखंड के दूरस्थ पगनों गांव के ग्रामीणों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी ऐसे भी दिन देखने पड़ेंगे। प्रकृति के कहर से ग्रामीण सहमे हुए हैं, और अपनी जिंदगी भर की कमाई व पुरखों की संपत्ति को अपने आंखों के सामने जमींदोज होते देख लोगों के आंखों से आंसू टपक रहे हैं। भारी भूस्खलन व आपदा से गांव के 50 परिवारों पर संकट पैदा हो गया है। जोशीमठ एसडीएम कुमकुम जोशी ने गांव का मुआयना कर खतरे को देखते हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ठहरने को कहा गया है। साथ ही ग्रामीणों को भूगर्भीय जांच कर सुरक्षित ठोर पर विस्थापन का भरोसा दिलाया है। प्रशासन के आदेश के बाद कुछ परिवारों ने भारी मन से अपने घरों से सामान निकालकर अन्य सुरक्षित जगहों पर जाने लगे हैं। प्रधान रीमा देवी ने बताया कि प्रशासन ने खतरे को देखते हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा है। लेकिन जब तक प्रशासन द्वारा कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जाती तब तक 50 परिवारों को अन्यत्र शिफ्ट करना कठिन बना हुआ है। गांव के कुछ परिवारों ने सलूड गांव व जोशीमठ में कमरा लिया है जहां सामान शिफ्टिंग किया जा रहा है। अब भी अधिकतर परिवार गांव में ही डर के साए में जीने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासन को जल्द से जल्द ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों प फिलहाल वैकल्पिक व्यवस्था करनी चाहिए। वहीं आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने बताया कि पगनों गांव में भूस्खलन से 38 परिवार प्रभावित हुए हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल इन परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर टिनशैड में रखा जा रहा है। भूमि चयन व भूगर्भीय जांच के लिए टीम एक – दो दिन में गांव जाकर वास्तविक स्थिति का आंकलन करेगी। उसके बाद ही विस्थापन की आगे की कार्यवाही की जाएगी।