जोशीमठ विकासखंड के पगनो गांव का अस्तित्व पर मंडराया संकट के बादल, गांव के ऊपर से लगातार हो रहे भूधंसाव से सांसत में बनी जान, लोग भागकर जान बचा रहे हैं। कुछ परिवार विद्यालय में शरण लिए हुए हैं। अपनी जिंदगी भर की कमाई को अपने आंखों के सामने जमींदोज होते देख लोगों के आंखों से टपक रहे हैं आंसू।
रिपोर्ट रघुबीर नेगी
प्रकृति की त्रासदी भारी वर्षा भूस्खलन की मार से बुरी तरह बेहाल हो चुका है, जोशीमठ विकास खंड का सूदूरवर्ती पगनों गांव, आये दिन हो रहे भूधंसाव से ग्रामीणों की रातें खौफ के साये में गुजर रही है। गांव का बड़ा हिस्सा विगत कई दिनों से धीरे-धीरे नजरों के सामने जमीदोंज चुका है। लोग घर छोड़कर भाग रहे हैं।
पैनखडा पट्टी का सूदूरवर्ती गांव पगनों में प्रकृति ने ऐसा कहर बरपाया जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी प्रकृति की त्रासदी के आगे बेबस है ग्रामीण।आलम यही रहा तो ग्राम पगनों का अस्तित्व भी मिटने के कगार पर है।जगह – जगह हो रहे भूधंसाव से गांव का मुख्य चारागाह भूमि एवं पैदल मार्ग जगह – जगह क्षतिग्रस्त हो गये है ।
गांव में विगत कई दिनों से भारी भूधंसाव के दृष्टिगत अब विस्थापन ही एकमात्र विकल्प बचा है। पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी वर्षा के कारण लगातार बड़े बड़े पत्थर गांव की और बढ़ रहे हैं पहाड़ियां के दरकने का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है। क्षेत्र में लगातार हो रहा भूस्खलन किसी बड़े हादसे को जन्म दे सकती है ।
पगनों गांव की रवीना बताती है कि अब तक गांव में 5 मकान गौशाला और प्राइमरी स्कूल,तथा शिवालय और आंगनबाड़ी, आपदा की जद में आ गए हैं।लगातार हो रहे भारी भूधंसाव से गांव के लगभग 40 से 50परिवार खतरे के साये में रहने को विवश हैं। गांव के ऊपर लगभग 250 पेड़ टूट चुके हैं पानी की मुख्य समस्या बनी है।लगातार कमेडा मिट्टी वाला पानी बह है रहा गांव को जाने वाले सम्पर्क मार्ग टूटने के कारण बच्चों ने सलूड़ गांव में किराये पर कमरा ले रखा है।
ग्रामीण शासन – प्रशासन पर उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। जल्द से जल्द पगनों गांव का विस्थापन किया जाना चाहिए गांव को दैनिक रोजमर्रा की सामाग्री उपलब्ध करवा कर सुरक्षित जगह पर रहने की व्यवस्था की जानी चाहिए ?