रघुबीर सिंह नेगी
पर्यटन व तीर्थाटन के लिए प्रसिद्ध उर्गमघाटी को जोड़ने वाला हेलंग – उर्गमघाटी मोटर मार्ग बीस दिनों से बंद है , जिससे घाटी के दो दर्जन से अधिक गांवों में दैनिक रोजमर्रा की वस्तुएं समाप्त होने से खाद्यान्न संकट गहराया। साथ ही दो दर्जन व्यवसायिक व निजी वाहन भी फंसे। लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए जान जोखिम में डालकर 15-20 किमी पैदल आवाजाही करने को मजबूर। बावजूद अभी तक प्रशासन कोई भी अधिकारी व कर्मचारी गांव की सुध लेने नहीं पहुंचा।
उर्गमघाटी : पंचम केदार कल्पेश्वर महादेव मंदिर एवं पंचबदरी में विराजमान ध्यान बदरी एवं उर्गम घाटी के 20 गांवों को जोड़ने वाली महत्वपूर्ण हेलंग – उर्गम मोटर मार्ग विगत 20 दिनों से बंद है। आलम यह है कि क्षेत्र में गैस की क़िल्लत समेत खाद्यान्न संकट गहराने लगी गया है। गैस की क़िल्लत होने से घाटी में रहने वाले सरकारी कर्मचारियों को परेशानियां का सामान करना पड़ रहा है।
ग्रामीण किसी तरह जंगल की गीली लकड़ी को जलाने के लिए मजबूर हैं, कल्पेश्वर महादेव मंदिर से लेकर हेलंग तक जगह – जगह मोटर मार्ग बुरी तरह ध्वस्त हो गया है। धोपा गदेरे एवं नोट गदेरे पर पुल निर्माण कम्पनी की लापरवाही के कारण दर्जनों खेत भूस्खलन की चपेट में आ गये हैं।
निर्माणधीन सड़क भैटा भर्की बांसा के कारण ठेकेदार एवं पीएमजीएसवाई की लापरवाही से जहां कल्पेश्वर महादेव मंदिर को खतरा पैदा हो गया है। वहीं भैटा गांव के पार्वती देवी की मकान समेत सात आठ परिवार भूस्खलन की जद में आ गए हैं।समय रहते सुरक्षा दीवार का निर्माण नहीं किया गया तो पूरा गांव भूधंसाव की जद में आ सकता है।
हेलंग उर्गम मोटर मार्ग बंद होने से पंचम केदार कल्पेश्वर महादेव पहुंचने वाले पर्यटक भी परेशान हैं, अधिकांश यात्री हेलंग से ही वापस लौट रहे हैं जिससे होटल व्यवसाय को नुक्सान हो रहा है।नन्दीकुड ट्रैकिंग एण्ड एडवेंचर्स ग्रुप देवग्राम एवं विवेक होटल के प्रबन्धक संदीप नेगी का कहना है कि एडवांस बुकिंग भी रद्द करनी पड़ रही है आपको अवगत करा दे कि इस साल पर्यटन व्यवसाय उर्गमघाटी में चरम सीमा पर था ।
हर वर्ष हजारों तीर्थयात्री उर्गम घाटी में पंचम केदार कल्पेश्वर महादेव एवं पंचबदरी ध्यान बदरी के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं, साथ ही यहां से वंशीनारायण, नन्दीकुंड, मद्महेश्वर, रूद्रनाथ, गिन्नी ग्लेशियर, बद्रीनाथ, फ्यूलानारायण, सोना शिखर, चनाप घाटी , भनाई बुग्याल समेत 50 से अधिक ट्रैकरूट जाते हैं जिससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार जुड़ा हुआ है।
उर्गम घाटी में लगभग तीस से अधिक होमस्टे पंजीकृत हैं। सड़क मार्ग टूटने से घाटी में रोजमर्रा का समान समाप्त हो गया है। मोटर मार्ग बंद होने से क्षेत्र में दो दर्जन वाहन फंसे हुए हैं, तहसील प्रशासन का कोई भी अधिकारी व कर्मचारी अभी तक घाटी में नहीं पहुंचा है। 20 दिन बीतने के बाद भी सड़क मार्ग पर खोलने का कार्य कछुवा गति से चल रहा है लोग पैदल आवाजाही करने को विवश हैं।