चमोली जिले में हुए भीषण हादसा के घायलों को सीएम द्वारा एम्स भेजने के निर्देश तो दिए गए, लेकिन एम्स में घायलों को एक अदद कंबल के लिए भी चिल्लाना पड़ा। इतना ही नहीं घायलों को रात्रि 12 बजे ही डिस्चार्ज कराया जा रहा था, जिसका घायलों ने ये कह कर विरोध जताया गया कि आखिर इस मध्य रात्रि में बिना व्यवस्था के वे कहां जाएं ? एम्स प्रशासन के दुर्व्यवहार से घायल आहत हैं।
चमोली में बुधवार को नमामि गंगा परियोजना में करंट दौड़ने से बड़ा हादसा हो गया था। जिसमें 16 लोगों की जान गई है। वहीं 11 घायलों में से 6 को हेलीकॉप्टर से एम्स भेजा गया और 5 घायलों का जिला चिकित्सालय गोपेश्वर में भर्ती किया था। बृहस्पतिवार को सीएम धामी ने गोपेश्वर जिला अस्पताल पहुंचकर घायलों का हाल-चाल पूछा। और सभी घायलों को बेहतर इलाज के लिए हेलीकॉप्टर से एम्स भेजने के निर्देश दिए। सीएम धामी के निर्देश पांचों घायलों को एम्स ऋषिकेश भेजा गया। सीएम धामी ने जिस उद्देश्य से घायलों को एम्स भेजा गया उस पर एम्स प्रशासन ने उसे गंभीरता से नहीं लिया गया। जिसके चलते मरीजों को पहले तो बेड ही नहीं मिले और बाद में मिले तो वो भी गीले बेड दिए गए। इतना ही नहीं ओढ़ने के लिए कंबल मांगने पर भी नहीं दिया गया। बाद में पांच घायलों को तीन कंबल दे कर अपना पल्ला झाड़ दिया गया। जिसके चलते घायलों को रात्रि बिना कंबल व असुविधा के ही बितानी पड़ी। हादसा में घायल सुभाष खत्री ने बताया कि एम्स में सभी मरीजों को बिना व्यवस्था के ही रात्रि 12 बजे रात्रि में डिस्चार्ज किया जा रहा था, जिसका घायलों द्वारा ये कह कर विरोध किया गया कि बिना व्यवस्था के वे इस रात्रि में कहां जाएंगे। उन्होंने कहा कि जब सरकार द्वारा व्यवस्था नहीं हो पा रही थी तो उन्हें गोपेश्वर ही रहने देते यहां भेजने की क्या जरूरत थी? इससे अच्छी सुविधा तो गोपेश्वर में ही थी और हमारा इलाज हो रहा था। उन्होंने कहा कि डिस्चार्ज के बाद अब उनके सामने घर आने की समस्या बनी है, उनके पास घर आने के लिए न तो किराया है और न ही कोई व्यवस्था है।